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हमें फाँसी देने के बजाय गोली से उड़ाया जाए – भगत सिंह के पत्र

भगत सिंह और उनके दोनों साथियो को फांसी लगने ही वाली है. यह सबकी राय थी. उसे किसी तरह कुछ दिन के लिए रोकना...

शीशे पर जमी धूल और बदलता चेहरा – बिहार, झूठ और सच

दो दिन पहले की एक घटना के बाद बिहार के बारे में काफी कुछ पढ़ने के बाद खुद भी कुछ लिखने की इच्छा हुई....

गांधी संग्रहालय पटना में एक दिन – एक रिपोर्ट

बड़े दिनों से दिल कर  रहा था लेकिन कभी मौका नहीं मिल पा रहा था, इस बार फिर से अपने उसी दोस्त के साथ...

मेरी कहानी मेरे साथ खत्म हो जाएगी – कलाम साहब की कहानी गुलज़ार की ज़ुबानी

हज़ारों साल नरगिस अपनी बेनूरी पे रोती है  बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावार पैदा...  सच ही तो है न...जब तक कोई दीदावार न...

भगतसिंह के पत्र – हमारे इतिहास के धरोहर

अपने ब्लॉग पर मैंने पहले भी भगतसिंह के कुछ पत्र लगाये हैं, आज फिर से उनके लिखे तीन पत्र अपने ब्लॉग पर लगा रहा...

मीना कुमारी, एक अदाकारा, एक शायरा – एक एहसास

मीना जी चली गईं..कहती थीं -  राह देखा करेगा सदियों तक, छोड़ जाएंगे यह जहां तन्हा ...और जाते हुए सचमुच सारे जहान को तन्हा कर गईं; एक...

गली कासिम जां और मिर्ज़ा साहब से एक मुलाकत

पूछते हैं वो के ग़ालिब कौन है? कोई बतलाओ के हम बतलाएं क्या? .. बल्ली मारां की वो पेचीदा दलीलों की-सी गलियाँ एक क़ुरआने सुख़न का सफ़्हा खुलता...

गाने के बनने की कहानी, गुलज़ार साहब की ज़ुबानी – दूसरा भाग

अचानक से आज बैंगलोर की एक खूबसूरत शाम याद आ गयी.अपने बेहद करीबी दोस्त के साथ गरुड़ा मॉल के सी.सी.डी में बैठा हुआ था.बड़ी...

आईये, ग़ालिब और गुलज़ार साहब के साथ कुछ लम्हे बिताया जाये

हैं और भी दुनिया में सुखनवर बहुत अच्छे,  कहते हैं कि गालिब का है अंदाज ए बयां और -गुलज़ार कभी कभी कोई रात फिल्म देखकर गुज़रती है...तो...

किताबों का खोता अस्तित्व – एक आदत जो हम भूल चुके हैं

बहुत पहले की बात है, किसी अखबार या पत्रिका में पढ़ा था एक पुराने गुमनाम उर्दू शायर के बारे में(नाम नहीं याद)..किताबों से इतना...

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