किस बरहमन ने कहा था कि ये साल अच्छा है?

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इस साल का आखिरी दिन है ये, और इस साल का मेरा ये पहला और आखिरी ब्लॉग पोस्ट। इस साल की जब शुरुआत हुई थी, तब सोचा तो बहुत कुछ था, इस ब्लॉग के बारे में भी सोचा था कि इस साल ये ब्लॉग फिर से शुरू करना है। लेकिन ये मुमकिन नहीं हो पाया। पिछले साल भी सिर्फ एक ही पोस्ट लिखा था, वो भी दिसंबर के आखिरी दिनों में। इस साल से उम्मीदें काफी थी, ब्लॉग के लिए भी और ज़िन्दगी के लिए भी। लेकिन उम्मीदें अक्सर धोखा दे जाती हैं। ये साल उम्मीदों पर तो खरा उतर नहीं पाया, कुछ यादें जरूर दे गया लेकिन बहुत सी मायूसी और निराशा भी दे गया। फ़राज़ साहब का एक शेर है न, जो शायद उन्होंने मीरज़ा ग़ालिब के शेर के जवाब में लिखा होगा – “न शब ओ रोज़ ही बदले हैं न हाल अच्छा है / किस ब्रह्मन ने कहा था कि ये साल अच्छा है।” कुछ उसी तरह का हाल अपना भी रहा है इस साल।

2020 के बाद बहुत लोगों की ज़िन्दगी बदल गई थी, कुछ लोगों को उम्मीद से ज़्यादा कामयाबी मिली, बहुत लोग बर्बाद भी हुए, कुछ लोगों को परिवार के साथ रहने की खुशी मिली, कुछ लोग तनहा होते गए, कुछ अवसाद में जाने लगे और बहुत से लोगों ने अपनों से बिछड़ने का दुःख भी सहा। लेकिन अगर अपने नज़रिए से बात करूँ, तो 2020 के आखिरी कुछ महीने अच्छे रहे थे, और साल भी ठीक-ठाक नोट पर ही ख़त्म हुआ था, 2021 का नया साल भी अच्छे वाइब्स के साथ शुरू हुआ था। लेकिन उसके बाद फिर थोड़ा अजीब वक्त आता गया। थोड़ा अवसाद, थोड़ी नाउम्मीदी और अजीब सा माहौल बनता गया।

ये जो साल बीतने वाला है, इसके शुरू होने की भी वैसी खुशी नहीं थी, न कोई उत्साह था। अब जब एक और नया साल सामने दरवाजे पर खड़ा है, तो इस बार भी कुछ खुशी या उत्सुकता नहीं है, हाँ वैसे जो दस्तूर है तो ऐसे में कुछ उम्मीदें रहना लाजिमी है। लेकिन इस बार ज़्यादा कुछ भी नहीं सोचा है इस साल के बारे में, न कोई रिज़ोल्यूशन, न कोई उम्मीद, और न ही कोई प्लान। देखे क्या दिखता है ये साल।

कोशिश तो रहेगी कि आने वाले साल यानी कि 2023 में कम से कम ये ब्लॉग को नियमित करूँ। लिखते रहने से कम से कम ज़िन्दगी की बेरुखी थोड़ी कम होती है। ये मैंने कुछ साल पहले देखा था, उन दिनों ब्लॉग नियमित लिखता था, और दूसरे लोग भी खूब लिखते थे। शाम का वक्त ब्लॉग लिखने और दूसरों के ब्लॉग को पढ़ने के लिए था। तब ये ब्लॉग मेरा उन दिनों के परेशानियों से बचने का एक ज़रिया था, मेरा एस्केप था।

अब जो ये साल बीतने वाला है, इस साल के आखिरी महीने में एक ज़रूरी लेकिन भूली हुई आदत फिर से शुरू हो गई मेरी, वो थी किताबें पढ़ने की। इसी साल एक और बहुत पुरानी आदत फिर से शुरू हुई, वो है गार्डनिंग की। बहुत साल पहले जब हम सरकारी क्वार्टर में रहते थे, तब हमारे गार्डन में खूब फूल-पौधे थे और तब गार्डनिंग में बड़ा मन लगता था, उन दिनों स्कूल में था लेकिन फिर भी फूल-पौधों में रोज़ पानी देना और अपने छोटे से गार्डन में शाम में बैठना अच्छा लगता था।

ये साल एक और थोड़ी अच्छी याद दे गया। निक्की का बड़े समय से मन था कि हम दोनों वैष्णो देवी जाएँ। थोड़ा मैं ही टालते आ रहा था, लेकिन इस साल नवम्बर में हम आखिरकार चले ही गए। शादी के बाद पहली बार वैष्णो देवी गए थे। निक्की के लिए खास इसलिए भी था वैष्णो देवी जाना कि बहुत बार वहां जाने का प्लान बनते हुए टूट गया। लेकिन इस बार हम चले ही गए।

ऐसी छोटी-छोटी एक-दो और यादें हैं जो ये साल हमें दे गया, लेकिन अच्छी यादों के अलावा निराशा, उदासी और फ्रस्ट्रेशन भी काफी दे कर गया है। लेकिन वो कहते हैं न कि हमें खुश रहना है तो पॉजिटिव चीज़ों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए और नेगेटिव चीज़ों को ज्यादा दिल पर लगाना नहीं चाहिए। तो इस साल की निराशाओं को याद नहीं रखना चाहता, लेकिन जो भी छोटी-छोटी खुशियाँ ये साल दे कर गया है, उन्हें जरूर सहेज लेना चाहता हूँ।

हाँ, बस इस नए साल में और आने वाले वक्त में एक छोटी सी गुज़ारिश है कि अच्छा न कर सके वक्त तो बस बुरा न करे। और बाकी इस बार तो बिलकुल ब्लैंक हूँ मैं कि क्या दुआ मांगू इस नए साल। इन दिनों दुआओं और प्रार्थनाओं पर यकीन कम होता जा रहा है। यह भी इस बीतते साल की ही देन है। इसे आप अच्छा कहें या बुरा, लेकिन दुआओं और प्रार्थनाओं पर अब यकीन कम होते जा रहा है मुझे। ये लगने लगा है कि आप जितना भी प्रार्थना कर लें, जो होना है वो होकर ही रहेगा। वक्त बेरहम होता है। वो दुआओं और प्रार्थनाओं को सुनता नहीं।

बाकी अब देखे नया साल में क्या देखने को मिलता है। फिलहाल सभी दोस्तों को नए साल की अनंत शुभकामनाएँ।

  1. पंडमिक के दौर से गुजरने के बाद अधिकतर लोगों का हाल वैसा ही रहा जैसा अपने लिखा और ब्लॉग कि दुनिया भी शांत ही हो गयी थी लेकिन न जाने क्यूँ अब वापस इस ब्लॉग कि दुनिया में लौटने को मन करता है मैं भी एल लंबे समय के बाद लौटी हूँ आशा है संवाद बना रहेगा आप को भी यदि समय मिले तो आयेगा मेरे ब्लॉग परhttps://mhare-anubhav.blogspot.com/2023/01/blog-post.html

  2. मैंने आज ही देखा और बेहद खुशी हुई कि मेरे कुछ पसन्दीदा लोग तो हैं ,जो ब्लॉग पर सक्रिय हैं . मैं भी कोविड काल से लगातार कुछ न कुछ पोस्ट करके ब्लॉग को सक्रिय रखे हुए हूँ . फेसबुक पर मुझे रचनाएं भेजना ठीक नहीं लग रहा पर कुछ अच्छे लेखक भी फेसबुक पर रचनाएं लिख रहे हैं इसलिये विवशता में वहाँ देखना पड़ता है . अब देखती रहूँगी .

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