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किस बरहमन ने कहा था कि ये साल अच्छा है?

इस साल का आखिरी दिन है ये, और इस साल का मेरा ये पहला और आखिरी ब्लॉग पोस्ट। इस साल की जब शुरुआत हुई...

वो जो रखते थे हम इक हसरत-ए-तामीर सो है

आज महीनों बाद ब्लॉग पर वापस आना हुआ है। आखिरी पोस्ट इस ब्लॉग पर मार्च की थी, और तब से लेकर अब तक इस...

एक साइकिल का दिख जाना और जाने क्या क्या फ़साना माज़ी का याद आना

मार्च का महीना है, गर्मी अभी पूरे रंग में आई नहीं है। थोड़ा वसंत का ही माहौल चल रहा है पटना में। ऐसे में...

मार्च की शाम और हलकी नोस्टाल्जिया वाली एक कॉफ़ी

मार्च की शाम है..सर्दियां बहुत पहले चली गयी हैं। घरों में पंखे खुल गए हैं। हालांकि एयरकंडीशन नही चालू हुए हैं. ये ठीक भी...

रात, नींद और नयी सुबह

देर रात तक जागे रहने के बाद नींद नहीं आती…बचपन में किसी से सुना था कि एक समय होता है जब हमें सबसे ज्यादा...

गुज़रते मौसम की भी अपनी उदासियाँ होती हैं

सर्दियाँ चली जाती हैं तब बहुत कुछ याद आता है. कितनी कहानियाँ लिखनी थी, सर्दियों की कहानी, दिसम्बर और जनवरी के गुनगुनी धुप की...

बीते साल की कुछ बातें

नया साल आ गया है, लेकिन यह नया साल मेरे लिए ही नहीं बल्कि सभी के लिए ख़ास सा है.. पिछला साल जितना बेदर्द...

हवाओं में सर्दियीं वाली खुशबु

महक बहुत अजीब होती है. नास्टैल्जिया लिए हुए अक्सर. हवाओं में सर्दियीं वाली खुशबु महसूस होने लगी है. घर में हूँ, पटना में… और...

विघ्न व्यवधानों के बीच मुस्कुराता, हिलता डुलता सा त्योहारों का मौसम

पर्व त्यौहार तो इस साल क्या मानेंगे, कितनों के घरों से ख़राब ख़बरें मिल रही हैं. इस साल मेरा घर भी इस बुरे ख़बरों...

जन्मदिन इन द टाइम्स ऑफ़ लॉकडाउन

जन्मदिन हो या एनिवर्सरी या फिर कोई त्यौहार पर्व… इस साल कुछ भी अच्छे तरीके से सेलिब्रेट नहीं हो पाया. सब लोगों ने घर...

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