पिछले दो दिनों से दिल्ली का मौसम खूब सुहाना हो गया है. बारिश हो रही है और सुबह और शाम ठंडी हवाएं चल रही हैं. ऐसे दिलकश मौसम में ऑफिस में बैठकर काम करने से बोरिंग काम कोई दूसरा नहीं है. लेकिन मेरे लिए अच्छी बात ये है कि मेरे कुछ काम ऐसे हैं जो मेरे दिल के बेहद करीब हैं और जिसे करने से बोरियत बिलकुल भी महसूस नहीं होती.जैसा कि आप जानते ही हैं, मेरा एक वेब पोर्टल है, जिसका नाम है “महफ़िल”.यहाँ मैं अक्सर कवितायेँ, शायरी और हिंदी फिल्मों के गाने और उसके लिरिक्स पोस्ट करता हूँ. नए गाने मैं सबसे पहले अपने साईट पर अपडेट कर दूँ, इसके लिए मैंने बहुत से म्यूजिक और फिल्म प्रोडक्शन हाउस, गायक और म्यूजिकल बैंड के यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब किया हुआ है. जिस भी चैनल पर कोई नया विडियो अपडेट होता है, उसकी जानकारी मुझे तुरंत मिल जाती है और उसे मैं अपने साईट पर उसी वक़्त अपडेट कर देता हूँ.
हिंदी पॉप गानों का एक पुराना बैंड है यूफोरिया, जिसे डॉक्टर पलाश सेन लीड करते हैं. यूफोरिया के यूट्यूब चैनल को भी मैं फॉलो करता हूँ. आज शायद मौसम का असर था या कुछ और, मैंने इनके चैनल के तरफ रुख कर लिया. इरादा तो था सिर्फ इतना पता करने का कि इन्होने कोई नया विडियो रिलीज़ किया है या नहीं. इनके प्लेलिस्ट विडियो पर यूहीं नज़र दौड़ाई तो कुछ महीने पहले रिलीज़ हुआ इनका एक गाना दिखा – “जिया जाए न..”. इस गाने को अब तक मैंने नहीं सुना था. वैसे भी यूफोरिया के गाने रिलीज़ होने पर अब उतना शोर नहीं होता, इसलिए बहुत से गाने छुट जाते हैं.
‘जिया जाए न’ के म्यूजिक विडियो में जिस एक्टर ने काम किया है, उसकी शक्ल कुछ पहचानी सी लगी. शायद किसी से मिलती जुलती. एक पल लगा कि कहीं ये पलाश सेन का बेटा तो नहीं? विडियो का डिस्क्रिप्शन पढ़ा तो पता चला कि ये म्यूजिक विडियो दरअसल एक शोर्ट फिल्म “जिया जाए” का हिस्सा है, जिसे खुद पलाश सेन ने डायरेक्ट किया है. और इसमें जिस एक्टर ने काम किया है, वो पलाश सेन का बेटा ही है – किंशुक सेन. तभी तो मुझे इस एक्टर की शक्ल जानी पहचानी लग रही थी. किंशुक पलाश सेन के डिट्टो कॉपी हैं. मेरी दिलचस्पी किंशुक सेन के बारे में और बढ़ गई. किंशुक के बारे में थोड़ा और सर्च किया तो उनके कई सोशल नेटवर्किंग प्रोफाइल मिले. वहाँ उन्होंने कुछ पुरानी तस्वीरे, अपने पिता और माँ के साथ की अपनी बचपन की तस्वीरें भी पोस्ट की थीं. उन तस्वीरों को देख बड़ा अच्छा लगा. कुछ इंटरव्यू भी दिखे जिसमें पलाश सेन और उनके बेटे ने कुछ अच्छी बातें की हैं. पलाश सेन के भी कुछ इंटरव्यू और विडियो दिखे, जो मैंने अब तक नहीं देखे थे. उनके चैनल पर वापस जाकर दुबारा कुछ पुराने विडियो भी फिर से देख डाले – धुम पिचक धुम, माएरी..और इस बैंड के बाकी सभी हिट गाने, एक के बाद एक.
कुल मिलकर माहौल ऐसा बन गया कि मैं सीधे उसी समय में पहुँच गया जब यूफोरिया का जादू अपने चरम पर था. नब्बे के दौर में, वो दौर जो नॉन-फिल्म एल्बम का सबसे सुनहरा दौर था. इधर बाहर बारिश हो रही थी, और मैं चाय के साथ यूफोरिया के गानों का मजा ले रहा था. मुझे बहुत से किस्से-कहानियाँ एक के बाद एक याद आने लगें. शायद ये पहला ऐसा बैंड था जिसके प्रति मेरी दीवानगी थी. 1998 में इनका पहला एल्बम आया था, जिसका नाम था “धूम”. एक गाना इस एल्बम का ‘धुम पिचक धुम’ उस समय के युवाओं का एंथम जैसा बन गया था. हर जगह ये गाना सुना जा सकता था. उसी साल बहुत से पैसे खर्च कर के हम लोगों ने अपना पुराना मर्फी का टू-इन-वन ठीक करवाया था. दिसम्बर का महिना था वो और जब मर्फी का पुराना टू-इन-वन ठीक हुआ तो चार नए कैसेट उसी दिन खरीदे थे – ‘कुछ कुछ होता है’, ‘प्यार तो होना ही था’, ‘सोल्जर’ और ‘धुम’.
धुम एल्बम का जादू ऐसा चढ़ा था मुझपर, कि पूरे पूरे शाम मैं इस एल्बम के गाने सुनता रहता था. पहले दिन में ही पलाश सेन मेरे फेवरिट रॉक और पॉप सिंगर बन गये थे. हालाँकि इनके पहले भी मैंने इंडियन ओसियन, बाबा सहगल और अलीशा के गाने सुने थे, लेकिन उन गानों का कोई खास असर मुझपर हुआ नहीं था. पर पलाश सेन के इस अलबम ने तो जबरदस्त असर डाल दिया था मुझपर.
पलाश सेन के बारे में उन दिनों स्टारडस्ट और फिल्मफेअर में खूब पढ़ता था कि कैसे कॉलेज के दिनों में लड़कियों को इम्प्रेस करने के इरादे से बनाया गया रॉक बैंड इनकी पहचान बन गया था. पलाश सेन की पहचान इंडियन रॉक एंड पॉप के निर्माता के तौर पर होने लगी थी. ये बात वैसे सही भी थी. यूफोरिया ने इंडियन पॉप और रॉक को रेवलूशनाइज़ कर दिया था. हमारे देश में यूफोरिया के पहले कोई भी हिंदी रॉक बैंड नहीं था. जो रॉक गा रहे थे, वो सभी इंग्लिश में गा रहे थे, लेकिन इन्होने हिंदी में रॉक गाना शुरू किया. अपनी पत्नी शालिनी के लिए इन्होने पहला हिंदी रॉक गाना लिखा था, ‘शा ला ला ला..’, जो कि इनके एल्बम धुम में शामिल था और खूब हिट भी हुआ था ये गाना.
एक के बाद एक इन लोगों ने हर साल सुपरहिट एल्बम निकाले थे. 1998 में धुम, फिर अगले साल इनका दूसरा एल्बम आया “फिर धुम” के नाम से और फिर “गली” और उसके बाद आया इनका एल्बम “महफूज़”, जो शायद आखिरी हिट एल्बम था. आखिरी हिट एल्बम इसलिए क्यूंकि उसके बाद नॉन-फिल्म एल्बम बनने ही एकदम से बंद हो गये.
यूफोरिया बैंड और इनका संगीत मेरे दिल के बेहद करीब है. पता नहीं किस वजह से, लेकिन इनके संगीत ने मुझे हमेशा खुश किया है. बुरे से बुरे मूड में इनके गानों को मैं सुनता था और हमेशा अच्छा महसूस होता था. पलाश सेन और इनके बैंड का स्टाइल सबसे अलग था और इनके गाने भी बेहतरीन ढंग से फिल्माए गये होते थे. इनके हर म्यूजिक विडियो ने हर बार बेहद इम्प्रेस किआ था मुझे. सिर्फ मैं ही नहीं, मेरी बहन, मेरे दोस्त और मेरे मोहल्ले के लड़क..हम सभी यूफोरिया के दीवाने थे.
मुझे याद है, जब इनका एल्बम “गली” आने वाला था. टीवी पर खूब गाने के प्रचार आते थे…’कभी आना तू मेरी गली, तेरा रस्ता मैं देखूंगा जी..” और मैं हर दिन बड़ी बेसब्री से इंतजार करता था कि इनका एल्बम मार्केट में कब आएगा? मेरे मोहल्ले में एक ऑडियो विडियो कैसेट लाइब्रेरी था, पायल विडियो के नाम से. मैं उनका रेगुलर कस्टमर था, तो उनको पहले से हिदायत दे रखी थी कि ये एल्बम जैसे ही आये, वो उसी दिन मुझे फोन कर के बता दे. अगले ही दिन, कोचिंग से मैं वापस आया था, और उसी शाम दुकान से कॉल आ गया था कि एल्बम आ गया है, मैंने उसी वक़्त अपनी साइकिल उठाई और कैसेट खरीदने दुकान की ओर बढ़ गया. मेरी पॉकेट मनी समाप्त हो चुकी थी, तो बहन ने अपनी पॉकेट मनी से मुझे कैसेट खरीदने के लिए उधार पैसे दिए थे, जिसे उसनें अगले ही महीने मुझसे वसूल भी लिया था. कुछ इस तरह का क्रेज था मेरा यूफोरिया के प्रति.
इस बैंड के चार एल्बम मैंने खरीदे थे, और यही चारों एल्बम इनके सबसे हिट एल्बम में से आते हैं. आखिरी एल्बम “महफूज़” के बाद इनका वैसा कोई काम बहुत शोर और मार्केटिंग के साथ रिलीज़ नहीं हुआ, और न ही मुझे इनके काम के बारे में पता चला. जैसा कि मैंने ऊपर बताया, महफूज़ एल्बम निकलने के बाद के सालों में हमारे यहाँ के म्यूजिक इंडस्ट्री से पॉप एल्बम का खात्मा ही हो गया था. सिर्फ फिल्म के गाने ही सुने जा रहे थे हर जगह. मुझे भी बड़ा दुःख होता था, कि पहले फिल्म से हट कर भी कितने पॉप एल्बम निकलते थे, सोनू निगम के हिट एल्बम हो, या फागुनी पाठक के एल्बम, यूफोरिया, शान, बॉम्बे विकिंग्स, लकी अली, आर्यन, दलेर मेहँदी और कितने ही और आर्टिस्ट थे जो अपने एल्बम निकालते थे. इनके गाने हिट भी होते थे और खूब पसंद भी किए जाते थे. लेकिन अब जाने क्यों एल्बम निकलना ही बंद हो गया है. आज ही एक विडियो दिखा पलाश सेन का, जिसमें उन्होंने भी इसी बात का जिक्र किया है कि अब पहले की तरह एल्बम के गाने क्यों नहीं बन रहे हैं.
यूफोरिया और पलाश सेन को मैंने शुरू से फॉलो किया है. इनके बैंड में शुरुआत से लेकर अब तक बहुत से लोग जुड़े. बहुत लोगों ने बैंड छोड़ कर फिल्म या बाकी पोपुलर मीडियम की ओर रुख कर लिया लेकिन पलाश सेन और इनके बैंड यूफोरिया ने अब तक अभी तक रॉक और पॉप का ही रास्ता पकड़ा है. कुछ महीने पहले पलाश सेन का एक इंटरव्यू देखा था मैंने, जिसमें उन्होंने कहा था, “हम लोग अभी भी दिल्ली में रहकर रॉक गाने ही बना रहे हैं, फिल्मों के लिए गाना नहीं गाते हैं और जो ज़िन्दगी के कोम्प्रोमाईज़ हैं वो हमनें कभी किया नहीं. हमारे साथी जितने भी सिंगर थे सब अलग अलग मीडियम में चले गये लेकिन हम वहीँ हैं..और जो मिलता है, जैसे मिलता है हम उसी में खुश हैं..”
मुझे पलाश सेन का ये हौसला और उनकी ये जिद कि “मैं अपना शहर दिल्ली छोड़कर कहीं बाहर नहीं जाऊँगा, मैंने कभी मुम्बई से काम नहीं किया, यहीं रिकॉर्ड किया यहीं काम किया, और यहीं इसी शहर में काम कर्रूँगा..”, ये मुझे बड़ा पसंद आता है. इस तरह का ऐटिटूड आज के प्रोफेशनल माहौल के हिसाब से शायद सही न भी हो लेकिन मुझे अच्छा लगता है.
पाँच-छः सालों से पलाश सेन और यूफोरिया के गाने थोड़े औसत हो गये थे, जो उनके स्टैण्डर्ड के हिसाब से नहीं थे. लेकिन पिछले एक साल से उन्होंने वापसी की है, और क्या तगड़ी वापसी की है. कुछ बेहद शानदार गाने बनाए हैं इस बैंड ने इन दिनों.
पहले की तरह अब कोई भी गायक या बैंड अपना एल्बम तो नहीं निकालता, लेकिन हाँ सिंगल्स जरूर आते हैं जो आम तौर पर यूट्यूब पर रिलीज़ होते हैं. पिछले सप्ताह ही पलाश सेन ने अपना एक सिंगल निकाला था, जो कि बेहद इन्स्पाइअरिंग है, और पूरी तरह से दिल्ली के सड़कों पर फिल्माया गया है इसका विडियो. सुनिए –
मैं एक फैन के तौर पर यूफोरिया और पलाश सेन से बस इतना ही कहना चाहूँगा कि आज भले हम एल्बम के कैसेट न खरीदते हों, लेकिन लोग गाने अब भी देखते और सुनते हैं. माध्यम बस बदल गया है. पहले कैसेट थें, अब यूट्यूब है. और यूट्यूब पर जितने “सो-कॉल्ड” पॉप और रॉक स्टार ने अपने हिट सिंगल्स से गंदगी फैलाई हुई है, उससे इतर आप ओरिजिनल हिंदी रॉक और पॉप गाने निकालिए और उन्हें अपने चैनल के माध्यम से हमें सुनाइये. वैसे गाने जिसके लिए हम यूफोरिया को पसंद करते थे और जिसके लिए यूफोरिया जाना जाता था.
कुछ नई बातें आज पता चली, कुछ पुरानी तुमने याद दिला दी…।
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन टोपी, कबीर, मगहर और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है…. आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी….. आभार…
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन टोपी, कबीर, मगहर और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है…. आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी….. आभार…