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डोसा खाने का भी एक अलग अनुभव – न्यू नार्मल के तहत

वैसे तो मार्च के बाद बाहर निकलना लोगों का बंद ही हो गया है. सब की तरह हम भी घर में बंद थे. अभी...

कोरोना के काल में दिल्ली के सड़कों पर एक दिन

वैसे तो कोरोना हर तरफ कहर बरपा रहा है और हर कोई दहशत में है. हम भी दिल्ली आये हुए हैं और एक दिन...

कोरोना काल में फ्लाइट से जाना मतलब जंग पर निकलना

किसे पता था ये दिन भी देखना पड़ेगा.. आज दिल्ली के लिए वापसी हो रही थी और ऐसा लग रहा था जैसे फ्लाइट पर...

लोकडाउन तीज और मेहँदी

मेहँदी, शायद हर उम्र की महिलाओं का पसंदीदा शगल है. बच्चियां से लेकर उम्रदराज महिलाओं को मेहँदी आकर्षित करती है. सच कहा जाए तो...

लॉकडाउन और ताश

इस लॉकडाउन जो एक चीज़ पुराना मिला वो था घर में पड़ा एक ताश के पत्तों का बण्डल, जो एक दिन यकायक मिल गया...

पुराना सचिवालय और झील

बस ऐसे ही जाना हो गया था उधर. कोई उद्देश्य नहीं था. सुबह  ऑफिस जाते वक़्त माँ ने कहा था कि आज लौटते वक़्त...

किस्सा एक बेचैन रात, खुशनुमा सुबह और एक दोस्त के साथ का…

उस रात ठीक से नींद नहीं आ रही थी. जाने क्या बात थी. पूरी शाम और फिर रात भर मन में बहुत कुछ चलते...

लॉकडाउन डायरीज 2- दराज से निकली यादों की पोटली

इस दो महीने के लॉकडाउन का एक छोटा सा फायदा यह भी हुआ कि घर के कुछ ऐसे गैरजरूरी काम जो बस टलते आ...

लॉकडाउन डायरीज 1 – ब्लेस्सिंग इन डिस्गाइज़

कल से जहाँ देश में लॉकडाउन  खुल गया है, तब से मन में लगातार कुलबुली उठ रही थी कि ब्लॉग के लॉकडाउन का भी...

दिन खाली खाली बर्तन है, और रात है जैसे अँधा कुआँ

शहर में अकेला घूमना बहुत भयंकर, बहुत कष्टदायक होता है। हमेशा एक खटका सा बना रहता है। एक अजीब किस्म का डर। शुरू शुरू...

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