वैसे तो मेरे इस पोस्ट में लिखी अधिकतर बातों को आप इसी ब्लॉग में कहीं न कहीं किसी न किसी पोस्ट में पढ़ चुके हैं, लेकिन फिर भी यहाँ आज सब एक साथ समेट कर आपके सामने पेश कर रहा हूँ।
बहनों का संसार कितना खूबसूरत होता है। बड़ा ही अनोखा और प्यारा रिश्ता होता भाई-बहन का। हम भाइयों के लिए बहनों के दामन में बस प्यार ही प्यार होता है। ज़माने की सारी उलझनें आपको कितना भी परेशान कर दें, कितना भी झकझोर दें, लेकिन बहनें आपको सहारा देने के लिए हर कदम मौजूद रहती हैं। शायद इसलिए तो जब सारी दुनिया आपकी दुश्मन हो जाती है, सारे लोग आपके खिलाफ हो जाते हैं तो सिर्फ ये बहनें ही आपके साथ हर कदम पे खड़ी रहती हैं। उसे आप पर पूर्ण विश्वास होता है। वो आपको अहसास दिलाती है कि आप कितने अच्छे हैं।
इसे मेरी खुशकिस्मती कहिए कि मेरी जिंदगी में बहनों का प्यार बेशुमार है। मैं अगर अपने पूरे परिवार की बात करूँ तो मेरे ननिहाल और ददिहाल दोनों में बहनों की संख्या ज्यादा है और भाइयों की संख्या कम। पटना के दिनों की बात करूँ तो हर राखी पर मेरी सभी बहनों के घर से मेरे लिए राखी आती थी। दादीघर और नानीघर में जितनी बहनें हैं, सभी राखी भेजती थीं, और मेरी कलाईयों में पंद्रह से बीस राखियाँ बंधी रहती थीं… जिसे देख मेरे दोस्त बड़े जल से जाते थे… खास वो दोस्त जिनकी एक भी बहनें नहीं थीं। वो मुझसे कहते “देखो एक हम गरीब हैं जो एक भी बहन नहीं हैं और एक तुम रईस की इतनी बहनों का प्यार तुम्हारी किस्मत में है”।
समय के साथ-साथ राखी के अवसर पर राखियाँ मिलना कम होता गया, जिसकी मुख्य वजह रही कि मैं पटना से बाहर रहने लगा.. पहले हैदराबाद फिर बैंगलोर और अब दिल्ली। मेरा पता भी बदलते रहता है, तो ऐसे में सभी जगहों से राखी नहीं मिल पाती.. लेकिन अब भी हर राखी में मेरे पास किसी न किसी तरह से आठ-दस राखियाँ तो पहुँच ही जाया करती हैं। कभी किसी साल अगर किस्मत ज्यादा मेहरबान रहती, तो मैं राखी के मौके पर घर पर ही रहता था और बहनें मुझे राखी बांधती थीं। मेरी बहन मोना(ऋचा), सोना (दीप्ति), निमिषा और माही मुझे राखी बांधती। मोना मेरी बहन है और सोना, निमिषा और माही मेरे मामा की बेटियां। ये चारों बहनें मेरी सबसे फेवरेट बहनें हैं जिनसे मैं सबसे ज्यादा करीब हूँ।
मोना मुझसे छोटी है और सभी बहनों में सबसे बड़ी। वो इन चारों की ग्रुप लीडर है। सारी बहनें मोना की चेले से कम नहीं। जो भी इसने कहा, वो सबने माना। वैसे मोना की शादी भी दो साल पहले हो गई है और बहुत पढ़-लिख कर खूब सारा ज्ञान भी अर्जित कर लिया है इसने और बहुत समझदार भी हो गई है, लेकिन जब भी ये बाकी बहनों के साथ रहती है तो मुझे इसके बड़ा होने और समझदार होने का कोई प्रमाण नहीं मिल पाता। मुझे परेशान करने का, चिढ़ाने का ये कोई भी मौका नहीं छोड़ती। जिद करने में और डांटने में ये किसी से कम नहीं। मुझे अब भी ऐसे डांटती है जैसे ये मुझसे जाने कितनी बड़ी है। बचपन में हर भाई-बहन की तरह हमने कई शरारतें की और खूब एक-दूसरे से लड़े-झगड़े भी। बड़े होने के साथ-साथ समझदार भी होते गए और एक-दूसरे का साथ भी देते गए। हम हमेशा एक दोस्त की तरह रहे और अपनी लगभग हर बात एक-दूसरे को बताते भी रहे। माँ जब मेरा पक्ष लेती तो ये माँ से भी ये कह कर झगड़ लेती कि तुम हमेशा भैया के साइड रहती हो.. और जब जरूरत पड़ती तो ये मेरे पक्ष में मेरे साथ हमेशा खड़ी भी रही। बचपन से आज तक जाने इसने मुझे कितने सारे निकनेम दे दिए हैं.. एक मजेदार निकनेम जो मुझे याद आ रहा है वो है “चयेरी”। मेरे चाय पीने की आदत से चिढ़ कर इसने मुझे ये अजीब सा नाम दिया था… और बहुत दिनों तक ये मुझे इसी नाम से बुलाती भी रही थी। अपने मोबाइल में इसने मेरा नाम भ्राताश्री के नाम से सेव किया हुआ है, जिसे जब मैंने पहली बार देखा था, वो नाम तो बड़ा अजीब सा लगा और बहुत हंसी भी आई थी।
दिल्ली में ग्रेजुएशन करने के बाद पोस्ट-ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने ये बैंगलोर चली आई थी, जहाँ मैं पहले से रह रहा था। साल २००८ की राखी हम दोनों के लिए एक अनोखी राखी थी। हम उस साल राखी के अवसर पर घर नहीं जा सके थे। हम दोनों बैंगलोर में अलग-अलग जगह पी.जी में रह रहे थे। ऐसे में हमने तय किया कि हम किसी मॉल में मिलेंगे और वहीं मोना मुझे राखी बांधेगी। बैंगलोर के सिग्मा मॉल के फ़ूडकोर्ट में हम मिले और मोना ने वहीं उसी फ़ूडकोर्ट में मुझे राखी बांधी। कुछ लोग हमें अजीब नजरों से घूर भी रहे थे लेकिन हम इन बातों से बेपरवाह थे। कहने की बात नहीं है कि पिछले दो सालों से राखी के मौके पर मैं मोना को मिस करता हूँ और इस साल भी बहुत मिस करूँगा।
दूसरी बहन सोना(दीप्ति) जो ऋचा से छोटी है और निमिषा, माही से बड़ी। ये अभी मास-कम्युनिकेशन की पढ़ाई कर रही है.. और तीन महीने की ट्रेनिंग पर फिलहाल दिल्ली में रह रही है। सोना बहुत हद तक मेरी जैसी है.. एक बेहद मेहनती और सुलझी हुई लड़की है। हम दोनों की बहुत सी आदतें, बातें एक सी हैं.. और शायद हम दोनों की किस्मत भी कुछ कुछ मिलती जुलती सी है। मार्क्स और परीक्षाओं के मामले में तो मेरी और सोना की किस्मत शायद एक जैसी ही है… दोनों जी तोड़ मेहनत करते रहे लेकिन अंक देवता हमेशा हमसे रूठे हुए रहे। ये बहुत सुलझी हुई और समझदार लड़की है लेकिन इसका ये अर्थ नहीं कि ये मुझे परेशान नहीं करती। कभी-कभी किसी बात को लेकर इसके द्वारा किए गए कमेंट से तो मैं हतप्रभ रह जाता हूँ कि ये कहाँ से ये बातें कह गई। साहित्य पढ़ने का इसे नया शौक चढ़ा है और मेरा लिखा हुआ पढ़ते-पढ़ते इसने भी लिखना शुरू किया है। जब मोना नहीं रहती है तो बहनों की ग्रुप लीडर सोना बन जाती है, लेकिन इसमें ग्रुप लीडर होने के सही लक्षण मौजूद नहीं हैं जिसकी वजह है इसका सुलझा हुआ स्वभाव। लेकिन फिर भी कभी-कभी मोना के गैरहाजिरी में इसका प्रदर्शन(ऑफकोर्स मुझे परेशान करने में) इतना दमदार होता है कि मैं आश्चर्यचकित हो जाता हूँ।
तीसरी बहन है निमिषा। ये कहने को तो अपने ग्रेजुएशन के आखिरी साल में है, लेकिन जब कभी मैं सोचता हूँ कि अब कुछ ही महीनों में निमिषा का कॉलेज लाइफ समाप्त होने वाला है तो यकीन नहीं आता कि वो इतनी बड़ी हो गई है। निमिषा को मैंने गोद में खिलाया है, और पता भी नहीं चला कब वो देखते-देखते इतनी बड़ी हो गई। लेकिन उसकी बातों से अब भी लगता है कि वो स्कूल की ही बच्ची है। जब मैं उसे बच्ची कहता हूँ तो मुझसे झगड़ती है। हमेशा मुझे ये साबित करने की कोशिश में रहती है कि वो बड़ी हो चुकी है। उसके तर्क भी मजेदार होते हैं…”मैं अकेली ऑटो से जाती हूँ ट्यूशन पढ़ने, तो देखो मैं बड़ी हुई कि नहीं..”, “मैं बाजार अकेले जा सकती हूँ, बड़े लोग अकेले बाजार जाते हैं..”, “कॉलेज में मैं अपना काम खुद करती हूँ, ये भी कोई बच्चों का काम नहीं..” वगैरह-वगैरह। और जब उसके ये सारे तर्क मैं खारिज कर देता हूँ तो मुझसे गुस्सा हो जाती है। कभी-कभी सोशल नेटवर्किंग साइट पर मैं कुछ उदास बातें लिख देता हूँ तो ये पढ़कर घबरा जाती है, और मुझसे कहती है कि भैया तुम अपना ख्याल रखा करो.. ये फिर तरह-तरह की बातें बनाने लगती है.. मैं जब कहता हूँ उससे कि तुम इतना मत सोचो, अभी बच्ची हो तो कहती है “मैं तो बस तुम्हारे मूड को ठीक करने की कोशिश कर रही थी… तुम भैया हो न मेरे”।
माही इन चारों में सबसे छोटी है और अभी ये स्कूल में ही पढ़ रही है, नृत्य का बहुत शौक है इसे और इसने कुछ कार्यक्रमों में भी भाग लिया है। ये अभी तो बच्ची ही है और मुझे ज्यादा तंग नहीं करती लेकिन बाकी तीनों बहनों के नक्शे-कदम पर ये भी जल्द ही चलने लगेगी, इसका मुझे पूर्ण विश्वास है। माही भले मुझे तंग न करती हो लेकिन अपनी दीदियों की हर बदमाशी में वो बराबर की हिस्सेदार होती है। मोना, सोना और निमिषा.. ये तीन बहनें तो जैसे हमेशा नई शरारतों के फेर में लगी रहती हैं.. कौन सी नई शैतानियाँ करनी हैं, मुझ पर कौन सी ट्रिक आजमानी हैं ये हमेशा इसी ताक में लगी रहती हैं। मैं जब इन्हें धमकाता हूँ या डांटता हूँ तो बजाय डरने या बात मानने के ये और ठहाके लगा-लगा कर हँसती हैं और कहती हैं मुझसे…”तुमसे भी कोई डर सकता है भला?”।
कभी-कभी इनकी हरकतें सच में हैरान करने वाली होती हैं… जैसे कुछ साल पहले का एक किस्सा है। होली के दो दिन बाद की बात। मैं किसी काम से दिन भर घर से बाहर था और शाम में जब घर पहुंचा तो काफी थका हुआ था। मैंने देखा ये चारों बहनें केक बनाने में व्यस्त हैं। ना तो उस दिन किसी का जन्मदिन था और न ही कोई खास दिन, तो फिर आखिर केक किस खुशी में बनाई जा रही थी? मैंने लेकिन इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और चुपचाप बैठ कर टी.वी. देखने लगा। केक बना कर ये सभी मेरे पास आ पहुंची और कहने लगीं मुझसे…”तुम आज केक काटो, हम तुम्हारा बर्थडे सेलिब्रेट करेंगे”। मैं हैरान सा तीनों को देखने लगा। “मेरा बर्थडे? पागल हो क्या? आज मेरा जन्मदिन कहाँ है? और मैं जब अपने जन्मदिन पर भी कभी केक नहीं काटता तो आज क्यों काटूँगा?” मैंने उन्हें डांटा, लेकिन मेरी डांट का उन पर कोई प्रभाव नहीं हुआ और चारों की जिद के आगे मुझे झुकना ही पड़ा। मैंने केक काटा और चारों ने मिलकर हैप्पी बर्थडे टू यू गाना भी गाया। मुझे सभी बहनों को, माँ को केक का टुकड़ा उसी तरह खिलाना पड़ा जैसे कोई जन्मदिन में किसी को केक का टुकड़ा खिलाता है। उस दिन माँ भी मेरी बहनों के पक्ष में खड़ी दिखी। वो दिन लेकिन सच में खास और यादगार दिन था मेरे लिए, वो दिन खास इस वजह से था कि जाने कितने सालों बाद मैंने केक काटा था और जबकि उस दिन मेरा जन्मदिन भी नहीं था। सच कहूँ तो चारों की उस शरारत ने मेरी सारी थकान मिटा दी थी।
ऐसी ही है मेरी बहनों की दुनिया.. इनकी हर शरारतों और जिद का केंद्र तो मैं रहता हूँ लेकिन सच कहूँ तो इनकी शरारतों को झेलने में मुझे भी बड़ा मजा आता है। हालांकि मैं इस बात को कन्फेस कर खुद के पैर पर ही कुल्हारी मार रहा हूँ। लेकिन ये सच बात है.. जब भी मैं इन सब के साथ रहता हूँ, हर चिंता हर फ़िक्र पीछे छूट जाती है और मैं खुलकर इनकी शरारतों के मजे लेता हूँ। इन सभी बहनों की एक ख्वाहिश है। उस ख्वाहिश को आप इनका पागलपन कहे या बचपना या फिर जो भी.. लेकिन इनकी वो एक बहुत स्ट्रॉन्ग ख्वाहिश है। कुछ साल पहले एक फिल्म आई थी “हम साथ साथ हैं”। उस फिल्म ने हम सब भाई बहनों पर गज़ब असर किया था। हमने छठ पूजा के अवसर पर ही वो फिल्म पहली बार देखी थी और तब से हमारे घर में ये एक रिवाज सा बन गया है की अगर हम सब छठ पूजा में एक साथ रहे तो उस दिन ये फिल्म हम जरूर देखेंगे, और ये रिवाज पिछले कई सालों से चलता आ रहा है। कुछ साल पहले जब छठ पूजा के दिन रिवाज के मुताबिक हम ये फिल्म देख रहे थे तो एक गाने(छोटे छोटे भाईयों के बड़े भैया) के दौरान निमिषा ने यूं ही कह दिया था की “भैया जब तुम्हारी शादी होगी तब हम सब ऐसे ही नाचे गायेंगे, इसी गाने को फिर से गायेंगे… आखिर हम सब छोटी छोटी बहनों के तुम बड़े भैया हो न..”। मैंने भी हंसी कर कह दिया था “ठीक है”। मुझे लगा था की उसने ये बात यूं ही कह दिया होगा, लेकिन उसे ये बात याद रह गई। जैसे जैसे समय बीतता गया निमिषा की ये ख्वाहिश और बढ़ते गई और साथ ही साथ मेरी बाकी बहनें भी इस ख्वाहिश का हिस्सा बन गईं।
शायद 2009 की बात होगी, छठ पूजा का दूसरा दिन था। सबने ये फिल्म सुबह सुबह ही वि.सी.डी पर चला दिया। हम सब बैठ कर फिल्म देखने लगे। फिर मैं कुछ काम से घर से निकला तो शाम में वापस आया.. जब वापस लौट कर आया तो देखा की फिल्म अब तक चल रही थी, रिपीट हो रही थी, और पूछने पर मालूम चला की ये फिल्म तीसरी बार रिपीट हुई है पूरे दिन में। फिल्म का वो गाना चल रहा था, अन्ताक्षरी टाइप का मेडली जिसके बोल हैं “सुनो जी दुल्हन एक बात सुनो जी.. अपने नए परिवार से मिलो जी”, इस गाने में सैफ अली खान और करिश्मा कपूर बाकी के सभी परिवार के सदस्य की नक़ल करते हैं और उनपे गीत भी गाते हैं। मेरी बहनों ने तो यहाँ तक सोच लिया की भैया की शादी में हम भी एक ऐसा ही कार्यक्रम करेंगे.. और उस दिन वो सब ये भी तय कर रहे थे की सब बच्चे परिवार के कौन कौन से सदस्य की भूमिका निभाएंगे… एक अच्छी खासी प्लानिंग की गई थी उस दिन। मैं जब वापस आया तो सभी मुझे घेर कर बैठ गईं और वो प्लानिंग सुनाने लगी… अब मेरी स्थिति बड़ी अजीब हो गई थी… मैं थोड़ा झेंप सा भी रहा था की पापा, मामा और परिवार के सभी बुजुर्ग वहां बैठे थे, लेकिन इन्हें तो किसी बात की फ़िक्र नहीं थी। मैं बस इनके प्लानिंग सुन सुन कर हाँ में हाँ मिला रहा था।
ऐसी न जाने कितनी अनगिनत यादें हैं मेरी बहनों की। उनकी शरारतें, जिद और बदमाशियों को याद करता हूँ तो चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कराहट फैल जाती है और आँखों में कुछ आँसू भी उतर आते हैं.. उनकी कमी बहुत खलती है, खासकर उदासियों के दिनों में जब उनकी याद आ जाती है तो उन्हें मैं बेतरह मिस करता हूँ। पिछले दो सालों से राखी के मौके पर मैं अकेले ही रह रहा हूँ, और जो भी राखियाँ मुझे डाक द्वारा मिलती हैं उन्हें खुद कलाई पर बांधनी पड़ती है और उस समय मुझे इन चार बहनों की बहुत याद आती है। इस साल एक सुकून की बात ये है की सोना दिल्ली में है और निमिषा ने भी कहा है की वो राखी के मौके पर दिल्ली आएगी। मोना तो राखी पर आ नहीं पाएगी और उसकी कमी फिर से बहुत खलने वाली है लेकिन ये खुशी की बात है की इस साल राखी के मौके पर सोना और निमिषा का साथ रहेगा और मेरी राखी बहुत ही अच्छी होगी। तो बस अब राखी के पवित्र पर्व का इंतजार है।
आज राखी का त्यौहार है, और आज ये पोस्ट नई दुनिया में प्रकाशित हुई है.ये पोस्ट कुछ दिनों पहले लिखी गयी थी.इस साल राखी के अवसर पर वैसे तो मैंने मोना की याद बहुत आई, लेकिन अच्छी बात ये रही की निमिषा और सोना राखी के अवसर पर यहाँ मौजूद थी.निमिषा ने तो बड़ा प्यारा सा सरप्राईज दिया मुझे.वो राखी के एक सप्ताह पहले से मुझसे कहते आ रही थी की वो दिल्ली नहीं आ पाएगी, उसे छुट्टी नहीं मिली है, और कल दोपहर वो अचानक आ धमकी.मेरे से कहने लगी, की उसे बड़ी मेहनत करनी पड़ी है इस प्लान को सही सही एक्सक्यूट करने में.लेकिन उसके इस सरप्राईज से मैं बहुत खुश हो गया था.आज जब वो वापस जा रही थी, और मैं उसके साथ मेट्रो में उसे छोड़ने जा रहा था, तो तरह तरह की ज्ञान की बातें कर रही थी, जिसे मैं अगले पोस्ट में लिखूंगा.फ़िलहाल आप आज की तस्वीरें देखिये :
जल्दी ही उन्हें गीत गाने का और जैसे मूवी में किया गया है वैसे ही इनैक्ट करने का शुभ अवसर मिले:)
Lucky you!
Such sweet sisters and they are even more lucky to have a brother like you!!!
बड़ी प्यारी ख़्वाहिश है बहनों की ,जल्दी उनकी मुराद पूरी हो 🙂
woww…बहनों की प्लानिंग जल्द से जल्द असल रूप अख्तियार करे…हमारी शुभकामनाएं अभी से 🙂
यह स्नेह बना रहे !
बहुत शुभकामनायें !
ओंठों पर आई बड़ी सी मुस्कराहट संभल नहीं रही है..
बहनों ने घर के कोमल संसार को सजाया होता है। सबको मेरी शुभकामनायें।
बाबा रे इतनी बड़ी पोस्ट सारा का सारा प्यार पोस्ट में ही उढेल दिया लग रहा है :)वैसे छोटी-छोटी बहनो के बड़े भईया न जाने कब बनेगे किसी के सनियाँ 😉 अब पूरा हुआ पोस्ट का शीर्षक :)) सभी को इस पावन पर्व की ढेर सारी शुभकामनायें…
स्नेह का बंधन बना रहे..जीवन के उतार चढाव में भी…हर पल !!
बहुत शुभकामनाएं बहनों की मुरादें पूरी हो…!
bahno ka itna pyar dekh dil bar aaya
जीवन में स्नेह और संबल का रंग भरती बहने ….. चित्र भी बहुत सुंदर हैं