कोरोना के काल में दिल्ली के सड़कों पर एक दिन

- Advertisement -
nikky and me

वैसे तो कोरोना हर तरफ कहर बरपा रहा है और हर कोई दहशत में है. हम भी दिल्ली आये हुए हैं और एक दिन दिल्ली में दो तीन काम थे जिसे निपटाने में हमें पूरे दिन का वक़्त लगना था. निक्की और मैंने तय किया कि हम सुबह सवेरे निकल जायेंगे और दोपहर तक सारे काम निपटा कर वापस लौट आयेंगे. 

लेकिन आम दिनों जैसा तो माहौल है नहीं. कहीं भी निकलने से पहले दस बार सोचना पड़ता है कि कैसे निकले और कैसे सुरक्षित रहे बाहर. हमनें टैक्सी से हर जगह जाना उचित समझा. लोगों ने कहा कि मेट्रो में अभी भीड़ नहीं है लेकिन फिर भी मेट्रो से जाने से हिचक थी. 

पहला पड़ाव था बैंक, जहाँ कुछ जरूरी काम निपटाने थे. पटना में कई बार लॉकडाउन के बीच बैंक जाना पड़ गया है, तो वहां कैसी व्यवस्था है ये पता है लेकिन दिल्ली के बारे में आईडिया नहीं था. हमें जाना था बैंक ऑफ़ इंडिया के ब्रांच में. 

ब्रांच पहुँचते ही बड़े आश्चर्य के साथ हमें बड़ा गुस्सा भी आया. वहां सावधानी नाम की कोई चीज़ ही नहीं थी. मतलब लोग ऐसे घूम रहे थे जैसे पिकनिक मनाने बैंक आये हों. आधे लोग तो मास्क पहने ही नहीं थे. बैंक में लगाये गए बेंचों में सोशल डिस्टेंस को ध्यान में रखते हुए कई जगह क्रोस(X) का निसान लगाया गया था लेकिन  फिर भी लोग जहाँ मन वहाँ बैठे हुए थे. 

ऐसे में बड़ा डर सा भी लगता है, जाने कौन कब आपको कोरोना गिफ्ट कर जाए. खैर हम अपनी तरफ से पूरे सावधानी से बैंक का काम निपटाते हुए वहां से नेहरु प्लेस की तरफ गए. नेहरु प्लेस में मुझे अपने लैपटॉप के कुछ जरूरी पुर्जे लेने थे.

वहाँ का माहौल तो और भी डराने वाला था. दो गज की दूरी तो दूर, लोग इतने पास पास चल रहे थे कि हवा पास होने की भी जगह नहीं थी. जिस दूकान से हमें सामान लेना था, उसके काउंटर पर बैठा व्यक्ति बार बार झींक रहा था और मास्क भी उसके चेहरे से नदारद थी. 

वहां से निकलने के बाद बड़ा डर भी लगा कि जाने किसके संपर्क में आ गए हों. नेहरु प्लेस में जल्दबाजी में हमनें काम निपटाए और वहां से निकल कर हम कनौट प्लेस आ गए, जहाँ कुछ जरूरी डाक्यूमेंट्स वाले काम थे. यहाँ का नज़ारा भी वैसा ही था. लोग बेपरवाही से घूम रहे थे, ऐसा जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो. 

सारे काम निपटा कर हम घर लौट आये, घर लौट कर भी कुछ देर तक तो मन में चिंता थी ही कि किसी के संपर्क में न आये हों. फिर भी हमनें काढ़ा और भाप का सेवन एक सप्ताह किया. 

जब चार पांच दिन का वक़्त निकल गया तब जाकर हमें कहीं राहत महसूस हुई. 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Posts