जन्मदिन के किस्से….कुछ पुरानी यादों के नशे में

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my birthday

आज छब्बीस जुलाई है। वैसे तो कुछ खास बात नहीं है, आम दिन जैसा ही दिन है, कुछ लोगों का जन्मदिन भी है आज, जैसे एक्ट्रेस सैंड्रा बेल, केट बेकिंसेल और मिक जैगर… इन सब के अलावा आज ही के दिन मुंबई में बाढ़ आई थी… कुछ और भी किस्से-कहानियाँ हैं इस छब्बीस जुलाई की… लेकिन मेरे परिवार वालों के लिए, दोस्तों के लिए ये छब्बीस जुलाई खास इसलिए है कि आज मेरा जन्मदिन है… 🙂 जी हाँ… आज से बहुत साल पहले भगवान जी ने हमें अच्छी तरह से पैक करके धरती पे एक गिफ्ट की तरह भेज दिया था और कहा “जाओ जाकर धरती की शोभा बढ़ाओ अब” 😛

पिछले साल का जन्मदिन

जन्मदिन पर घर में न रहना बहुत खलता है.. अच्छा नहीं लग रहा कि जन्मदिन पर घरवालों के साथ नहीं हूँ.. लेकिन क्या करूँ, कुछ काम-काज की मजबूरियाँ हैं… पिछले आठ सालों से मैं घर से बाहर रह रहा हूँ.. इन आठ सालों में ऐसा संयोग बनता रहा कि जन्मदिन पर छः साल घर पर ही रहा हूँ.. केवल दो साल ही बाहर रहा.. पिछले साल भी घर पर ही था.. मैं जन्मदिन पर केक नहीं काटता.. पता नहीं क्यों.. पहले बचपन में तो काटता ही था केक लेकिन फिर बाद में केक काटने की आदत छूट गई.. पिछले साल जन्मदिन पर काफी सालों बाद केक काटा मैंने… वो भी मेरी बहनों की मेहरबानी से.. मेरी सभी बहनों ने मिलकर बड़े प्यार से मेरे जन्मदिन पर केक बनाया था.. पहले तो मैं झिझक रहा था.. मैंने सोचा कि ठीक है, केक बनाया है उन्होंने तो खा लूँगा लेकिन अब केक नहीं काटूँगा… पता नहीं क्यों केक काटना मुझे अच्छा नहीं लगता, लेकिन पिछले साल अपनी बहनों की जिद के आगे झुकते हुए केक काट ही दिया.. मेरा जन्मदिन हमेशा सावन में ही होता है, तो सावन महीने में हमारे घर में नॉन-वेजिटेरियन कुछ भी नहीं बनता… पनीर, खीर, पूरी, पुआ, पुलाव यही सब बनता है.. मम्मी तो सुबह आँख खुलते ही किचन में लग जाती हैं… मेरे जन्मदिन पर आधा दिन तो मम्मी किचन के कामों में ही लगी रहती हैं… नहीं तो मेरे जन्मदिन पर कोई वैसी पार्टी-शार्टी होती है नहीं कोई शोर-गुल.. बस घरवालों के साथ ही बीतता है ये दिन… कुछ करीबी २-३ मित्र आ जाते हैं घर पर… और कुछ परिवार वाले…. बड़ा ही शांत तरीके से मनाया जाता है मेरा जन्मदिन… इंजीनियरिंग में जब था तो बस एक ही साल घर से बाहर रहा जन्मदिन पर, साल २००४… उस साल जन्मदिन के समय हमारे एग्जाम चल रहे थे, मेरे जन्मदिन के दिन भी एक पेपर था, वैसे तो परीक्षाएँ चल रही थीं… हंगामा होने की कोई गुंजाइश नहीं थी, लेकिन फिर भी एक दिन पहले ही मैंने ये साफ़ कह दिया था सब दोस्तों से कि यार मुझे ज्यादा हंगामा, शोर पसंद नहीं… उन लोगों ने भी मेरी बात का मान रखते हुए बस केक मंगाया था… उस साल छब्बीस जुलाई के दिन सुबह-सुबह पांच बजे ही आँख खुल गई, परीक्षा तो थी, दिमाग डूबा हुआ था किताबों में, और दिल डूबा हुआ था पटना की यादों में… उस दिन घर की बहुत याद आई थी मुझे… बहुत ज्यादा…

जन्मदिन की बहुत सारी यादें हैं मेरी…

कारों का शौक मुझे बचपन से रहा है… चमकीली कारें, तेज भागती हुई कारें… क्लासिक विंटेज कार, मसल कार… कारें मुझे पागल बना देती हैं… बचपन में मैं कारों की तस्वीरें जमा करता था.. एक छोटा सा अफिशल ब्रीफकेस था, पापा का शायद… उसी ब्रीफकेस में मैं कारों की सारी तस्वीरें रखा करता था… बड़े प्यार से रखता था… हर साल अपने जन्मदिन पर उन कारों की तस्वीरें को मैं देखता था… और गिनती करता था कि कितनी तस्वीरें जमा हुई हैं… एक छोटा सा कागज़ का टुकड़ा था, जिसमें मैंने लिखा था कि किस साल कितनी तस्वीरें जमा हुईं… वो सारी तस्वीरें अभी भी हैं, हालांकि बहुत सी खो गईं, जो बाकी बची हुई थीं उन्हें बड़े अच्छे से मैंने अपने अलमारी में रख दिया था पिछली बार जब घर गया था…

जन्मदिन-बचपन वाली

मम्मी, पापा कहते हैं कि बचपन में मेरा जन्मदिन बहुत जोर-शोर से मनाया जाता था… सभी लोग, पड़ोसी, परिवार वाले आते थे… मैं तो खुद बच्चा था तो मुझे कैसे याद हो सकता है… लेकिन आज जब अपने बचपन के जन्मदिन की तस्वीरों को देखता हूँ तो वो सब पल महसूस करता हूँ… कभी-कभी तो उन तस्वीरों में मैं डूब जाया करता हूँ… तस्वीरें भी कितनी कहानियाँ बयां करती हैं… अच्छा लगता है जब इन तस्वीरों को देखता हूँ… 🙂

मती, प्रभात और मैं

दोस्तों में जो मेरे घर आते थे जन्मदिन पर वो थे “मती, मुराद और प्रभात”, इन लोगों के साथ जन्मदिन की शाम कैसे बीतती थी पता ही नहीं चलता था… मुझे बहुत खुशी होती थी जब ये तीनों जन्मदिन पर आते थे… वो पल मेरे लिए खूबसूरत होता था, बैठकर इन दोस्तों के साथ मस्ती भरी बातें करना, हल्की-फुल्की नोक-झोंक, थोड़ी शरारती बातें… आज बहुत ज्यादा याद आ रही है अपने उन दोस्तों की, अभी ये लिखते-लिखते आँखें भी थोड़ी नम सी हो गई हैं, पता नहीं कहाँ-कहाँ से यादें उमड़ रही हैं… अगर आज के दिन वो तीनों मेरे साथ होते यहाँ तो कितनी खूबसूरत शाम बीतती…

मेरे जन्मदिन के ठीक दो दिन पहले जन्मदिन आता है मेरी दोस्त दिव्या का… २४ जुलाई… जब पटना में थे तो हम लोग एक साथ ही पार्टी दिया करते थे… पार्टी क्या, पहले तो समोसे खिला दो दोस्तों को, कोल्ड ड्रिंक… दोस्त सब तो इतने में ही खुश… बम-बम हो जाते थे… करीब ७०-८० रुपये का बिल आता था… मैं और दिव्या अपनी पॉकेट मनी से पैसे बचाकर, पैसे शेयर करके पार्टी देते थे… ३५-३५ रुपये दोनों के लगते थे… उस समय तो इतने पैसे भी पहाड़ लगते थे… 🙂 अब के जैसे नहीं कि जब तक अच्छा खा-पी कर पेट नहीं भर लिया, जब तक बर्थडे बॉय को लुटा नहीं तब तक दोस्तों की पार्टी नहीं होती 😉 अभी दो दिन पहले दिव्या के जन्मदिन पर न जाने क्यों वो सब बातें भी बहुत याद आयीं…

मैं शायद बहुत खुशकिस्मत हूँ कि मुझे जन्मदिन पर हर साल इतनी शुभकामनाएँ मिलती हैं…

मेरे दोस्तों को मेरे से जलन भी रहती है 😛 सब कहते हैं कि यार तुम्हारे जन्मदिन पर तो फोन का तांता लगा रहता है… कितने लोग तुम्हें मुबारकबाद देते हैं… मोबाइल की इनबॉक्स भरी रहती है बर्थडे मेसेजेस से, फेसबुक और ऑरकुट पर स्क्रैप्स भरे पड़े होते हैं तुम्हारे :P… कल भी रात के बारह बजे से ही फोन आने शुरू हो गए… सबसे पहले कम्बाइन्ड कॉल आया रुचिका और वरुण का, इन दोनों ने मुझसे शायरी भी सुन ली एक फोन पर ही, मुझसे तो गाना सुनने की रट लगाए हुए थे ये.. 🙂 फिर शिखा का कॉल आया, उसने कैसे कॉल किया है मैं ही जानता हूँ… कुछ परेशानियों में है और उसका कॉल मैं एक्सपेक्ट नहीं कर रहा था, ऐसे में उससे बात हो जाना बहुत अच्छा लगा 🙂 फिर सुदीप, और आखिर में दीपिका का कॉल आया… रात के करीब २ बजे सोया सब से बात कर के… सुबह-सुबह सबसे पहले पापा-मम्मी ने फोन किया, फिर मेरी मौसी ने, मेरी बहन ने… और अभी थोड़ी देर पहले मेरी दोस्त स्तुति ने कॉल किया 🙂 दिन में तो अभी सबके फोन आने बाकी हैं… आज तो मेरा मोबाइल भी तबाह हो जाएगा इन कॉल्स से 🙂

आज अपने जन्मदिन पर ये पोस्ट लिखने का मेरा वैसा कोई इरादा नहीं था, पर कल शिखा के अनुरोध पर ये पोस्ट लिख रहा हूँ… तो इस पोस्ट का श्रेय जाता है शिखा को 🙂

आज तो वातावरण एकदम शांत है, मौसम में हल्की ठंठक, बहुत सुहानी हवा बह रही है, दिल-दिमाग भी सुबह से ही फ्रेश है… मूड भी अच्छा है… लेकिन फिर भी जन्मदिन जैसा कुछ लग नहीं रहा, कुछ कमी सी महसूस हो रही है… शायद दोस्तों, परिवार वालों की कमी खल रही है… अभी कुछ देर में एक दोस्त के साथ कहीं घूमने जाऊं… शांत सी जगह है… कुछ देर वहीं बिताऊँगा… कल के पोस्ट में तस्वीर लगाऊँगा 🙂

फ़िलहाल चलता हूँ, अगली पोस्ट में मुलाकात होगी… 🙂

  1. हप्पी बर्डे जी…

    बहुत प्यारे किस्से है… चुन चुन के फोटो जमा किये हो.. मस्त..

  2. मेरी पसन्दीदा पन्क्ति:
    "मैं तो खुद बच्चा था तो मुझे कैसे याद हो सकता है…"
    हे हे.. इतनी समझदारी से भरी लाईन.. वाह! 🙂

    जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाये दोस्त! Hope you get loads of beautiful surprises today…

  3. अभिषेक भाई,
    आरजू चाँद सी निखर जाए।
    जिंदगी रौशनी से भर जाए।
    बारिशें हों वहाँ पे खुशियों की,
    जिस तरफ आपकी नज़र जाए।
    जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ।

    ——–
    क्या स्वीट थर्टीवन का महत्व आप जानते हैं?
    बेहद आसान है इस बार की पहेली।

  4. मेरा जन्मदिन तो तब मनना शुरू हुआ, जब मैं हॉस्टल में आयी और बम्स संस्कृति का पता चला… बाप रे अठारह-उन्नीस बम्स खाकर जो हालत होती थी कि पूछो मत. घर पर कभी इस तरह से नहीं मना. मेरे बाऊ भी केक काटना बुरा मानते थे…
    तुम सच में बड़े लकी हो, जो तुम्हारा बर्थडे इतनी धूमधाम से मनाया जाता था. हो सकता है मेरा भी मनाया जाता हो और मैं तो खुद बच्ची थी मुझे कैसे याद होगा 🙂
    खैर फिर से ढेर सारी शुभकामनाएँ… अपनी मासूमियत बच्च्च्ये रखना… बड़ी दुर्लाभी चीज़ हो चली है… क्यों पंकज?

  5. बहुत ही बढिया रहे जन्मदिन के किस्से………………यादो के साथ ऐसे ही लिपट जाया करते हैं।
    जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें।

  6. arrreee wah aaj aapka bhi b'day hai bahut bahut badhai…bahut hi sundar post…sari tashwire bahut payari…ek safal sawayth zivan ki dhero shubhkamnao ke saath…

    shubham,

  7. @रंजन जी
    शुक्रिया 🙂
    @पंकज,
    हा हा जार्ज क्लूनी टाईप्स..;) शुक्रिया दोस्त…:)
    @kshama ji
    बहुत बहुत शुक्रिया 🙂
    @जाकिर अली साहब,
    बहुत पसंद आई आपकी कविता…बहुत बहुत शुक्रिया 🙂
    @आराधना जी,
    हाँ बचपन में सुना है की जन्मदिन जोर शोर से मनाया जाता था, लेकिन मैं शांत तरीके से ही जन्मदिन मानाने के पक्ष में रहता हूँ….केक काटना मुझे भी कुछ खास पसंद नहीं…पता नहीं क्यूँ…
    @वन्दना जी,
    बहुत बहुत शुक्रिया 🙂
    @शिखा,
    थैंक्स 🙂
    @शुभम जी,
    शुक्रिया जी…बहुत बहुत शुक्रिया 🙂
    @काजल जी,
    बहुत बहुत शुक्रिया सर जी 🙂
    @शिखा वार्ष्णेय जी,
    बहुत बहुत धन्यवाद 🙂
    @संजीत जी,
    शुक्रिया सर ..बहुत बहुत धनयवाद
    @संजय जी
    बहुत बहुत शुक्रिया जी 🙂

  8. एगो हमरा अपना घटिया सेर है…तुम लाईन पर मत जाना..भाबना पर जाना..
    .
    और इक साल गया जाने दो,
    उम्र कुछ और बढी जाने दो.
    तुम सदा यूँ ही मुसकुराते रहो
    कल की दुश्वारियों को जाने दो!

  9. सबसे पहिले (भईया भाभी के बाद) त हमरा आसिर्बाद लो, गोड़ छूकर… फिर बोलो झूठ नहीं बोलोगे कभी… भगवान किसी को गिफ्ट पैक में नहीं भेजता है…अगर गिफ्ट पैक में भेजता त तुरते कईसे पता चलता कि अभिसेक हुआ है कि अभिलासा…समझे!
    एतना लिखला के बाद सोचे कि चलो फोने करके आसिरबाद दे देते हैं. बढिया लगा बात करके… जीते रहो, अऊर भगवान सब खुसी तुमको दे!!
    नोटः ई हमरा पहिलका कमेंट बेनामी कईसे हो गया..

  10. बीस मिनट लेट हो गए मुबारकबाद देने में….:)
    जन्मदिन की ढेरो बधाइयां….तस्वीरें बहुत सुन्दर हैं …और विवरण भी….शुभकामनाएं

  11. देर से ही सहीं, हमारी भी शुभकामनांए स्‍वीकार करें भाई. बहुत सुन्‍दर लेखन शैली है आपकी.

  12. ये पोस्ट अब तक मेरी निगाह से बची रही, जिसका सारा कसूर तुम्हारा…:/ 😊
    पर चलो, कोई नहीं, हैप्पी वाले बड्डे में माफ़ किया…अब केक खाओ, खिलाओ हमको 🎊😇
    जन्मदिन मुबारक बच्चा…लव यू भैय्यू 💝

  13. मेरा जन्मदिन तो तब मनना शुरू हुआ, जब मैं हॉस्टल में आयी और बम्स संस्कृति का पता चला… बाप रे अठारह-उन्नीस बम्स खाकर जो हालत होती थी कि पूछो मत. घर पर कभी इस तरह से नहीं मना. मेरे बाऊ भी केक काटना बुरा मानते थे…

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