मेहँदी, शायद हर उम्र की महिलाओं का पसंदीदा शगल है. बच्चियां से लेकर उम्रदराज महिलाओं को मेहँदी आकर्षित करती है. सच कहा जाए तो लड़कियों के हाथ पर मेहँदी हद खूबसूरत लगती हैं.
मेरे यहाँ भी मेरी बहन को मेहँदी लगाने का खूब शौक था. उसने बाकायदा मेहँदी लगाना सीखा भी था. शादी के बाद वो बहुत से व्यस्तताओं में घिरी रहती है तो अब उसे उतना वक़्त नहीं मिल अपने इस शगल को पूरा करने का. लेकिन अब निक्की जब इस घर में आई, वो अपना एक शौक भी लेते आई, और वो है मेहँदी लगाने का शौक.
उसे मेहँदी लगाना बड़ा अच्छा लगता है. लगभग हर पर्व त्यौहार में उसे मेहँदी लगाना पसंद है. इस लॉकडाउन जब सब तीज की तैयारियां चल रही थी तब शाम में निक्की मेहँदी लगाने बैठी. ऐसे ही उड़ते हुए मुझे ख्याल आया तो मैंने निक्की से कहा, कि लाओ मैं लगा दूँ मेहँदी?
जैसी उम्मीद थी वैसा ही निक्की का रिएक्शन था.. आप लगायेंगे?
मैंने कहा हाँ, लाओ लगा देता हूँ.. बचपन में खूब ड्राइंग किया है, तो गलत मेहँदी लगाने का सवाल ही नहीं.
यह कह दो दिया मैंने लेकिन यह भूल गया कि पेपर और पेंसिल से ड्राइंग करना और हाथों पर मेहँदी लगाना एकदम अलग अलग बातें हैं. एक तो मुझसे मेहँदी का ट्यूब पकड़ा नहीं जा रहा था उसपर हाथ इधर उधर हो रहे थे. एक फूल भी ठीक से बन नहीं पाया निक्की के हाथों पर.
खैर, जैसे तैसे उसके एक हाथ पर मेहँदी लगाईं मैंने. पसीने छूट गए थे इतने में ही. मुझे आभास हुआ कि मेहँदी लगना कितना मुश्किल काम है. करीब एक घंटे का वक़्त लग गया था मुझे.
हालाँकि मेहँदी आख़िरकार ठीक ठाक लग भी गयी थी. लेकिन निक्की को जब कहा कि लाओ दुसरे हाथ पर भी लगा देता हूँ, वो भाग खड़ी हुई.
खैर मेहँदी लगाने की पहली कोशिश थी मेरी और मेरे हिसाब से उतना बुरा भी नहीं लगाया है मेहँदी मैंने.
मेहँदी लगाते वक़्त निक्की को एक शेर सुनाया था मैंने, जो उसे कुछ ख़ास समझ में नहीं आया..
मेहंदी लगाने का जो ख़याल आया आप को
सूखे हुए दरख़्त हिना के हरे हुए