लॉकडाउन और ताश

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इस लॉकडाउन जो एक चीज़ पुराना मिला वो था घर में पड़ा एक ताश के पत्तों का बण्डल, जो एक दिन यकायक मिल गया था घर की सफाई करते हुए. जैसा की पिछले कुछ पोस्ट में आपको बताया कि मेरी तबियत ख़राब हो गयी थी मार्च के आखिरी हफ्ते में, उस वक़्त ताश का खेल खूब हुआ.

यह एक पुराने समय की वापसी जैसा कुछ था, जब तबियत ख़राब में हम लूडो या कैरम खेलते थे ताकि ध्यान बहला रहे और ख़राब तबियत से जो बोरियत और मन अजीब हो जाता है वो दूर हो जाए.

हमारे घर में निक्की को ताश खेलना नहीं आता था, बाकी सब इस फन में माहिर थे. तो निक्की को ताश सिखाया गया. मैंने और माँ ने इस काम की ज़िम्मेदारी ली और निक्की को ‘रमी’ खेल सिखाया गया. यह सबसे आसान ताश का खेल है शायद इसलिए हमनें यही खेल सिखाया इसे. ट्वेंटी नाइन या ट्वेंटी एट उसको सिखाने की कोशिश की लेकिन वो थोड़ा कंफ्यूज हो गयी, तो हमनें रमी पर ही कंसन्ट्रेट किया.

निक्की को यह खेल सीखने में ज्यादा वक़्त नहीं लगा और दुसरे या तीसरे ट्राई में निक्की ने खेल जीत लिया था. तब इसे खेलने में और भी ज्यादा मज़ा आने लगा.

एक हफ्ते के बाद तबियत मेरी भी थोड़ी ठीक हो गयी थी लेकिन निक्की को ताश खेलने की आदत लग चुकी थी. जैसे ही इसे खाली समय मिलता तो यह ताश के पत्ते लेकर बैठ जाती.

अब धीरे धीरे मुझे भी निक्की के साथ ताश खेलने की लत लगते जा रही है. इसे धीरे धीरे कर के काफी सारे ताश के खेल सिखाने हैं.

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