जन्मदिन हो या एनिवर्सरी या फिर कोई त्यौहार पर्व… इस साल कुछ भी अच्छे तरीके से सेलिब्रेट नहीं हो पाया. सब लोगों ने घर में ही मनाया हर कुछ.. न किसी गेस्ट को बुलाया गया और नाही परिवार वालों को जमा किया गया. इस साल मेरा जन्मदिन, हमारा एनिवर्सरी, माँ पापा का एनिवर्सरी और तीज व्रत सावित्री जैसे कई मौके ऐसे ही सूखे से निकल गए.
अक्टूबर के महीने में ही निक्की का जन्मदिन होता है, अक्टूबर के आखिरी तारिख को..यानी 31 अक्टूबर. हम इस बार दिल्ली में थे तो बस हम दो लोग ही थे. ऐसे में जन्मदिन बड़ा फीका सा लगता. मेरी बहन जो दिल्ली में ही रह रही है, संजोग से वो भी निक्की के जन्मदिन के एक दिन पहले पहुँच गयी.
अब हम चार लोग हो गए थे, और बहुत ग्रैंड तरीके से ना सही, लेकिन ठीक ठाक अकेले में ही निक्की का जन्मदिन सेलिब्रेट हो गया, और तस्वीरें फेसबुक पर पोस्ट कर दी गयी. इस साल शायद जन्मदिन या कोई भी ख़ास दिन हर किसी का इसी तरह सेलिब्रेट हुआ है.
इस लॉकडाउन ने सबको शेफ तो बना ही दिया है, तो इसलिए निक्की के जन्मदिन में भी स्नैक्स, केक से लेकर डिनर तक सब घर में बना था और वो भी बेहद स्वादिष्ट. हाँ बस कसक यही रह गयी अगर पूरे परिवार वालों के साथ जन्मदिन सेलिब्रेट किया जाता तो बात ही अलग थी. किसी भी ख़ास दिन का अर्थ और उसकी ख़ुशी तभी महसूस हो जब आपके अपने साथ हों.