वो हमेशा मेरे इस बात पे बहस करने लगती है, कहती है “हम अब बच्ची नहीं हैं.. बड़ी हो गए हैं”.. और मैं हर दफे उसके इस दावे को ये बोल के खारिज कर देता हूँ कि पहले बड़ों की तरह कुछ हरकतें, बातें दिखे तुम्हारी तब तो तुमको मानूंगा कि बड़ी हो गई हो तुम 🙂
ये मेरी वही छोटी बहिन है जिसके बारे में आप पहले भी दो तीन बार पढ़ चुके हैं – निमिषा
इस बार दिवाली में मैं घर नहीं गया, उसे भी पहले से पता था.. लेकिन फिर भी उसको ये लग रहा था कि मैं कैसे भी आ ही जाऊँगा दिवाली में। अभी कुछ दिन पहले मेरी बहन ऋचा से उसने फिर से पूछा..”दी भैया सही में नहीं आ रहा क्या दिवाली में?” ऋचा ने उसे बताया कि “नहीं बाबू, तुमको काहे लगा कि वो आएगा.. वो तो बहुत पहले ही बोल दिया था कि नहीं आ रहे इस बार। इस बात पे निमिषा का जवाब था- “हमको तो लग रहा था कि वो ऐसे ही हमको बना रहा है, दिवाली में कैसे भी कर के आ जाएगा.. अब मेरा कैसे मन लगेगा? किसको तंग करेंगे दिवाली में हम..” निमिषा को फिर भी यकीन नहीं आया तो उसने मुझे एस.एम्.एस किया, जो कुछ इस तरह से था – “भैया तुम नहीं आ रहे दिवाली में 🙁 “
परसों रात की बात है, मेरी आदत है कि कोई शेर या नज़्म पसंद आ जाए तो उसे कुछ सेलेक्टेड लोगों को भेज देता हूँ मेसेज में। गुलज़ार साहब का ये नज़्म भी मैंने सेंड किया कुछ लोगों को
बस, हवा ही भरी है गोलों में
सुई चुभ जाए तो पिचक जाएं
लोग ग़ुस्से में बम नहीं बनते!
ये मुझे यकीन था कि ऐसी नज़्म, त्रिवेणियाँ जल्दी किसी को समझ नहीं आतीं.. अरे भाई, सुई कैसे चुभ जाए, बम क्यों नहीं बनते.. ऐसी बातें समझने में भी तो वक्त लगता है न। इसलिए कभी-कभी कोई दोस्त वापस मेसेज कर के पूछ ही देता है कि “क्या था ये भाई”, या फिर कोई ये कह देता है कि “भाई समझ में नहीं आया..” अब परसों रात जब निमिषा को भी ये मेसेज किया तो उसने क्या जवाब दिया और फिर क्या बात हुई हमारी एस.एम्.एस में, उसे देखिए –
निमिषा – “भैया ये क्या भेजे? समझ नहीं आया? “
मैं – बाबू शायरी है..शायरी.
निमिषा – हा हा पगला वाला शायरी..सुई कैसे पिचकेगा 😀 😀 😀
मैं – तुमको समझ में नहीं आने वाला..अपना दिमाग मत लगाओ.
निमिषा – ;–> सुई पिचक गया 😀 😀 😀
मैं – तुम अपना दिमाग अब मत लगाओ ज्यादा..
निमिषा – ठीक है तो तुम अपना दिमाग दो, वही लगाते हैं..
मैं – बहुत बोलने लगी है रे तुम आज कल..
निमिषा – भैया तुम दिवाली में नहीं आ रहे तो क्या हम यहाँ से भी तुमको तंग नहीं कर सकते.
मैं – ठीक है ठीक है, चलो अब सो जाओ..बहुत रात हो गया है..
निमिषा – नहीं सोयेंगे..पहले तुम लोरी सुनाओ. या कोई गाना गाओ ससुराल गेंदा फूल 😛
(निमिषा इस गाने का फरमाइश कुछ कारण से की थी 🙂 कुछ देर इस गाने पे ही बात होती है, फिर..)
निमिषा – गाना सुनते ही तुम्हारे चेहरे पे हंसी के फव्व्वारे..!
(कुछ डांट डपट के समझाने की कोशिश करता हूँ, लेकिन फिर भी..)
निमिषा – “ओए होए ये बचानी, ओए होए ये बेताबी..जाने वो कैसी होगी रे!
मैं – चुप करो तो तुम..नहीं तो जनवरी में आयेंगे तो बहतु मारेंगे..
निमिषा – (फिर से वही डायलोग) तुम दिवाली में नहीं आये तो क्या हम यहाँ से भी तुमको तंग नहीं कर सकते.
मैं – अच्छा ठीक है, पहले सो जाओ अब.
निमिषा – तुम भी सो जाओ ..सो जाओ..अब कल तंग करेंगे 🙂
मैं – चलो गुड नाईट..बाय..
निमिषा – मीठे मीठे सपनो के साथ सो जाईये 🙂
मैं – बहुत बोलना सीख गयी है, चलो गुड नाईट.. 🙂
आज जब मैंने निमिषा को शाम में ये बताया की देखो तुम जो परसों रात बात की थी न एस.एम्.एस से, वो हम ब्लॉग पे लगाने वाले हैं..ये सुन वो कहती है “तुम रे..आओ जनवरी में, तुमको बताते हैं”
सोचिये जरा, हमको धमकाती है ये, हम कहते हैं की हमसे डरा करो तो हँसने लगती है, अब आप ही बताइए है न अजीब सी स्वीट डफर 🙂
बहुत प्यारा पोस्ट है रे. बहन सब होती ही इसलिए है, और देखना, जब दोनों को विदा कर दोगे ना, तब देखना..यही सब पोस्ट पढ़ कर याद करोगे. 🙁
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A beautiful conversation between brother and sister.
Happy Diwali.
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सुंदर संवाद भाई बहन का….. रंगोली भी बड़ी प्यारी है….
दिवाली हार्दिक शुभकामनाये….
बहुत प्यारा पोस्ट !!
मुझे तो पोस्ट से ही पता चल जाता है की निमिषा कितनी क्यूट होगी 🙂
दिवाली की तुम्हे भी बहुत शुभकामनाएं !
प्यारे रिश्ते की प्यारी सी पोस्ट .
ओर निमिषा को कहना रंगोली बहुत ही सुन्दर है .
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये
बहुत याद आ रही है ना ….??
समझ में आ रहा है पोस्ट से !
आपको और आपके परिवार में सभी को दीपावली की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं ! !
बहुत प्यारी पोस्ट . रंगोली बहुत सुंदर लगी. निमिषा बहना और आप को इस दीपावली के शुभ अवसर पर सपरिवार हार्दिक शुभकामनायें
अरे कितनी सुंदर रंगोली….. आपको भी दीपावली की शुभकामनायें
so sweet!! मीठा रिश्तों की मीठी कहानियाँ!!
प्यारी सी पोस्ट..प्यारी सी बहना रानी उनकी प्यारी प्यारी बातें…
बहुत सुन्दर रंगोली बनायी है…
दीपावली की असीम शुभकामनाएं
🙂
एक दम ठीक तो है ..हम निमिषा के पार्टी में हैं ..तुम हईये है बकलोल ..रे एक ठो धांसू सा बहाना नहीं बना सकता था कि सर हमारी पत्नी का सादी फ़ायनल हो गया है उसमें हमारा रहना जरूरी है ऐसा सब बोला है ..छुट्टी दीजीए फ़ट से ….बताओ आइडिया लईबे नहीं करेगा तो ..अभिषेकवा के साथ अब एश भी आ जाती है कहने ..what an idea sir jee ..????
बड़ी सुन्दर स्मृति में पगी पोस्ट, सुन्दर रंगोली और परिवार को दीवाली की शुभकामनायें।
wish u a happy diwali and happy new year
प्यारी सी पोस्ट, मेरी तरफ से आपको और आपके घर के सभी लोगो को दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाये!!
जल्दी जाईये जनवरी को आप नहीं तो वो तो जरूर बताने के तैयार बैठी होगी.प्यारा पोस्ट!
ये बताओ पहले, निमिषा को अपना दिमाग दिए कि नहीं…??? 😛
वैसे तुमसे कहा किसने था कि गुलज़ार साब की त्रिवेणी उसे भेजो…जब भेज ही दिया तो फिर काहे कहते हो कि सो जाओ…|
और तुम लाख धमकी देते रहो…आएँगे तो बहुत मारेंगे, तुमसे डरता कौन है रे…??? 😛
रंगोली सच में बहुत प्यारी बनाई है उसने, बोल देना…|
वैसे पूछना तो हमको भी यही है…ये सुई कईसे पिचकेगा रे…??? 😛 🙂
जब ये पोस्ट लिखे थे तब तक निमिषा से नहीं मिले थे. उसके एक-दो महीने बाद उससे मिले थे पटना में.. सच में बहुत प्यारी और भोली बच्ची है. 🙂
थैंक्स तो "कही-अनकही" जी के कमेन्ट का जो फिर यहाँ आ पहुंचे. 🙂
अरे….ये "कही-अनकही" जी को पिछले एक हफ्ते से लगातार दौरे पड़ रहे हैं(वैसे इन्हें ऐसे दौरे पड़ते रहते हैं).कहाँ कहाँ से क्या क्या खोज खोज कर निकाला जा रहा है…इवेन दोबारा-तिबारा पढ़ा हुआ सब को फिर से दुबारा-तिबारा पढ़ा जा रहा है ! फुल पागलपन वाला केस है!
हम भी पगलाते हैं ऐसे कभी कभी. मेरे पगलाने की कहानियों से तो तुम्हारा ब्लॉग भरा हुआ है. सो कुछ नहीं कहेंगे.
😉
हद है रे…एक तो अभी तक नहीं बताया कि ये सुई कईसे पिचकेगा…ऊपर से हमको पागल डिक्लेअर कर दिए…:/
और कम से कम अपने कमेंटवा में तो हमरा नाम बता देते…:)
अजीब नालायक ब्लॉगर से पला पडा है…पाठक ( या पंखो ) की कौनो इज्जत नाही…:/ :/ 🙁 :'(