कुछ समय पहले टीवी में न्यूज़ चैनल में इलेक्शन को लेकर लोग अटके पड़े थे, तो कुछ लोग गैर जरूरी बहस में और इन सब के बीच एक पुराने बिस्किट कंपनी ने हमारे नाक के नीचे कुछ ऐसा कर दिया कि जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी. एक के बाद एक हमारे मन पर इस कंपनी ने कुछ ऐसे टेररिस्ट हमले किये कि उससे उबर पाना आसान बात नहीं थी.
बात है पिछले महीने के आखिरी कुछ दिनों की. जहाँ तक मुझे याद है, वीकेंड रहा होगा. शायद शनिवार का दिन था. मैं रात में लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा था, हाथ में कॉफ़ी का कप था, और सामने टीवी चल रहा था. कानों में एक ऐड्वर्टाइज़्मन्ट की आवाज़ आई, कोई लड़की अपनी माँ से सवाल कर रही थी, ‘अम्मा ये क्या है? हारमोनियम है?’
मैंने टीवी की ओर देखा. एक बच्ची के हाथों में एक यंत्र था और उसी यंत्र से जुड़े सवाल वो लड़की अपनी माँ से पूछ रही थी. सच कहूँ तो पहली झलक में मैंने उस ऐड्वर्टाइज़्मन्ट के ऊपर ध्यान ही नहीं दिया था और मेरी नज़रें वापस लैपटॉप पर पड़ने ही वाली थी कि उस लड़की की माँ का जवाब सुनाई दिया, ‘हमारे ज़माने का म्यूजिक प्लेयर’.
मेरे कान खड़े हो गए. मेरी नज़रें फिर से टीवी पर गड़ गयीं…
अरे!! ये तो वाकमैन के बारे में ऐड्वर्टाइज़्मन्ट है….
दो पल के लिए तो, हार्ट स्किपड अ बिट…
इस परले जी कि तो…..
खैर, ऐड्वर्टाइज़्मन्ट मात्र पैतीस सेकण्ड का था, और वो खत्म भी हो चूका था. मैंने झट से अपना लैपटॉप उठाया, यूट्यूब पर इस ऐड्वर्टाइज़्मन्ट को सर्च किया और दो-तीन-चार-पाँच बार लूप में ये ऐड्वर्टाइज़्मन्ट को देखने लगा.
बात थी ही कुछ ऐसी… ये ऐड्वर्टाइज़्मन्ट मेरे खोये हुए पुराने एक दोस्त के बारे में था. मेरे खोये हुए वाकमैन के बारे में था…
बड़ा तेज़ गुस्सा आया था परले जी पर? याद हद है…अपने प्रोडक्ट को बेचने के लिए क्या कोई ऐसी वाहियात हरकत करता है क्या? मेरे जैसे लोगों का इसे ज़रा भी ख्याल नहीं आया? जानते तो होंगे ये कि कुछ लोगों पर ऐसे ऐड्वर्टाइज़्मन्ट का क्या असर होता है. ज़मानियत में उलझे कड़े हृदय वाले लोगों पर तो कोई असर नहीं होता लेकिन जो डेलिकेट हार्ट वाले हैं वो? उनका क्या?
मतलब पर्मिशन कैसे मिल जाती हैं इन बड़ी कम्पनियों को ऐसे खतरनाक टेररिस्ट हमले करने की जिसमें दिल-ओ-जान बुरी तरह घायल हो जाते हैं.
खैर, रात का वक़्त था, तो मैं कुछ ज्यादा कर भी नहीं सकता था. सोने गया लेकिन आँखों में नींद कहाँ थी?
बार बार वही एक चेहरा, फिलिप्स का अपना सिल्वर कलर का वो वकमैन. उसी कि शक्ल बार बार आँखों के सामने घूम रही थी. पॉकेट मनी बचा कर जिसे खरीदा था. इंजीनियरिंग के दिनों का अपना वो साथी था…
ये जो पुराने प्यार की यादें होती हैं न वो बड़ी बद्तामीज़ होती हैं.उन्हें तो बस बहाना चाहिए होता है आ धमकने का और फिर वो वापस नहीं जाती.
वाकमैन की भी बातें कुछ ऐसी ही रह रह कर याद आने लगी थी. लग रहा था जैसे मानो उसनें आकर चारो तरफ से मुझे जकड़ लिया है, “बच्चू, इतनी आसानी से कैसे पीछा छुड़ाओगे मुझसे? ज़माने बाद पकड़ में आये हो. कंप्यूटर और मोबाइल के चक्कर में तुमनें मुझसे ब्रेक अप कर लिया था न, मुझे अकेला छोड़ दिया था और घर के पुराने सामानों के बीच ठूंस दिया था तुमनें. सुना होगा न तुमने कि दुनिया में कुछ निर्दयी कातिल ऐसे होते हैं जो लोगों को जिंदा कब्र में दफना देते हैं. और वो जिंदा लोग जिनमें धड़कन बाकी होती हैं, जीने की चाह होती है, वो कब्र में ही घुट-घुट कर मर जाते हैं. ठीक वैसे ही तुमने मुझे छोड़ दिया था घर के पुराने सामानों के कब्रगाह में मरने के लिए. हाँ, तुमनें एक दो साल बाद मेरी सुध लेनी चाही थी लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. अस्पताल भी लेकर गए थे तब तुम मुझे. डॉक्टर्स ने कहा था कि इसमें जान फिर से डाली जा सकती है. रकम जो उन्होंने बताई थी, वो भी तुम आसानी से अफोर्ड कर सकते थे लेकिन तुमनें मुझे फिर से जिंदा करने में जरा भी दिलचस्पी नहीं दिखाई, और अब मुझे याद कर रहे हो..बेशर्म कहीं के…
मैंने घड़ी की ओर देखा, रात के ढाई बज रहे थे, लेकिन इस कमबख्त वाकमैन की यादों ने इतने बेरहमी से शिकंजा मुझपर कसा था कि मैं कुछ भी कर पाने में असमर्थ था. इसके सवालों का जवाब तो वैसे भी नहीं था मेरे पास, बस कितनी ही बातें इसकी एक के बाद एक याद आने लग रही थी…
पॉकेट मनी बचा कर इसे खरीदा था. बैटरी में पैसे खूब जाते थे और बैटरी में हर बार इन्वेस्ट करने से बचने के लिए मैंने पॉकेट मनी फिर से बचाए थे और एक रीचार्जबल बैटरी और उसका चार्जर भी खरीदा था. स्टाइल मारने के लिए अक्सर अपने जीन्स के ऊपर इसे खोंस(अटका) दिया करते थे और फिर कानों में हेडफोन लगाये, आँखों में गोगल्स डाले सड़कों पर घूमते थे.
वो दिन सच में सुनहरे दिन थे. लेकिन जैसे जैसे कैसेट खरीदना कम हुआ, लैपटॉप और मोबाइल का वर्चस्व बढ़ता चला गया, अपने इस दोस्त को मैं भी भूलता चला गया और अब एक मामूली से ऐड्वर्टाइज़्मन्ट ने जैसे फिर से सब कुछ याद दिला दिया था.
वैसे, ये जो बकवास मैंने यहाँ अभी उड़ेली है, वो बेमतलब भी नहीं है. पार्ले जी का पैतीस मिनट का ये ऐड्वर्टाइज़्मन्ट सच में इतना प्यारा है कि अगर आपने भी कभी अपने वाकमैन से मोहब्बत की होगी तो ये ऐड्वर्टाइज़्मन्ट जरूर बेहद पसंद आएगा आपको.
विज्ञापन देखते हुए ये ख्याल भी आया कि सच में अगर मैंने अपना पुराना वाकमैन को कबाड़ी में न निकाल दिया होता तो आज कम से कम पुराने दिनों की यादों की खातिर उसमें गाने सुने जा सकते थे.
खैर, आप तो ये विज्ञापन देखिये –