मैं हूँ आज की नारी..
मैं ही दुर्गा हूँ,
मैं ही सरस्वती…
मैं कृष्ण की राधा भी हूँ..
और सीता भी..
फिर आज क्यों,
अक्सर लज्जित भी होना पड़ता है मुझे..
मैं बहन भी हूँ और बेटी भी..
फिर भी क्यों,
इस समाज में..
अक्सर उचित सम्मान,और अधिकार से,
वंचित रह जाती हूँ..
मैं हूँ आज की नारी…
मेरे दामन में तो बस प्रेम की प्रेम हैं..
बहन के रूप में, बीवी के रूप में,
या फिर बेटी के रूप में..
हर रिश्ते के लिए,
मेरे दामन में
प्यार,स्नेह और ममता है..
मैं हूँ आज की नारी,
मैं नियमों पे चलना भी जानती हूँ,
और खुद के नियम बनाना भी..
इस दुनिया के साथ चलना भी जानती हूँ,
और इसी दुनिया से लड़ना भी …
मैं क्रोध भी करती हूँ, और विरोध भी..
लड़ते लड़ते थकती भी हूँ,
और फिर आगे भी बढ़ती हूँ..
मैं हूँ आज की नारी..
मैं खुद के लिए फूल भी खरीदती हूँ,
और तोहफे भी..
मैं कार भी चलाती हूँ,और एयरोप्लेन भी..
मुझे चोकलेट आइस-क्रीम भी पसंद है,
और प्यारी रूमानी बातें करना भी…
मैं चेहरे पे छु के जाती हवा महसूस भी करती हूँ,
मैं अपने ही ख्यालों में खोयी भी रहती हूँ..
मैं हूँ आज की नारी..
मैं आधुनिक भी हूँ, और पारंपरिक भी..
मैं अपने कर्त्तव्य पहचानती भी हूँ,
और अपने हदों को जानती भी हूँ..
achcha likha padho to poori ek tasveer ubhar kar aati hai aadhunik naari ki…
दिलीप से सहमत. वाकई मे सच्ची तस्वीर उकेरी है।
Naree na devi ho na daasi ho..use zamana ek samvedansheel insaan samjhe yahi bahut hoga..uske gun doshon sahit sweekar kare!
बहुत सुंदर रचना….
iisanuii.blogspot.com
बहुत शानदार!
इतनी अच्छी तरह आज की नारी की व्याख्या कर दी…:) बड़ी अच्छी पहचान हो गयी है,आज कि नारी से.:)..पर सबसे बड़ी बात है,उन्हें उसी रूप में स्वीकारना…बहुत सुन्दर लिखा है…
its nice !
तुमने बहुत सटीक शब्दों में हमारी व्याख्या की है अभिषेक! इतना सोचने और लिखने के लिए ह्रदय से धन्यवाद!
मैं हूँ आज की नारी, सत्य वचन!
आज की नारी की भावनाओं को अनुनादित करती कविता।
सत्य वचन महाराज!
जय हो!!
तुम कुछ भी अच्छा पोस्ट करने से पहले इतना सोचते क्यों हो…???
🙂 😀
तुम कुछ भी अच्छा पोस्ट करने से पहले सोचते क्यों हो…???
🙂 😀