शेर की गुफा में न्याय – शरद जोशी

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  • शेर की गुफा में न्याय / शरद जोशी Sher Ki Gufa Mein Nyay - Sharad Joshiइमरजेंसी पर व्यंग के माध्यम से शरद जोशी का एक और तीखा कटाक्ष. ‘शेर की गुफा में न्याय’ लघुकथा के माध्यम से शरद जोशी ने कुछ सन्देश दिया है.

 

जंगल में शेर के उत्पात बहुत बढ़ गए थे। जीवन असुरक्षित था और बेहिसाब मौतें हो रही थीं। शेर कहीं भी, किसी पर हमला कर देता था। इससे परेशान हो जंगल के सारे पशु इकट्ठा हो वनराज शेर से मिलने गए। शेर अपनी गुफा से बाहर निकला – कहिए क्या बात है?

उन सबने अपनी परेशानी बताई और शेर के अत्याचारों के विरुद्ध आवाज उठाई। शेर ने अपने भाषण में कहा –

‘प्रशासन की नजर में जो कदम उठाने हमें जरूरी हैं, वे हम उठाएँगे। आप इन लोगों के बहकावे में न आवें जो हमारे खिलाफ हैं। अफवाहों से सावधान रहें, क्योंकि जानवरों की मौत के सही आँकड़े हमारी गुफा में हैं जिन्हें कोई भी जानवर अंदर आकर देख सकता है। फिर भी अगर कोई ऐसा मामला हो तो आप मुझे बता सकते हैं या अदालत में जा सकते हैं।’

चूँकि सारे मामले शेर के खिलाफ थे और शेर से ही उसकी शिकायत करना बेमानी था इसलिए पशुओं ने निश्चय किया कि वे अदालत का दरवाजा खटखटाएँगे।

जानवरों के इस निर्णय की खबर गीदड़ों द्वारा शेर तक पहुँच गई थी। उस रात शेर ने अदालत का शिकार किया। न्याय के आसन को पंजों से घसीट अपनी गुफा में ले आया।

शेर ने अपनी नई घोषणाओं में बताया – जंगल के पशुओं की सुविधा के लिए, गीदड़ मंडली के सुझावों को ध्यान में रखकर हमने अदालत को सचिवालय से जोड़ दिया है, ताकि न्याय की गति बढ़े और व्यर्थ की ढिलाई समाप्त हो। आज से सारे मुकदमों की सुनवाई और फैसले हमारी गुफा में होंगे।

इमर्जेंसी के दौर में जो पशु न्याय की तलाश में शेर की गुफा में घुसा उसका अंतिम फैसला कितनी शीघ्रता से हुआ इसे सब जानते हैं।

 

About The Author – Sharad Joshi

बुद्धिजीवियों का दायित्व - शरद जोशी | Hindi Short StoriesSharad Joshi, born on 21 May 1931 in Ujjain, was a very well known hindi satirist, writer and a poet. He had written script for television serials as well as feature films. He was awarded Padma Shri in 1990.

शरद जोशी, जिनका जन्म 21 मई 1931 को उज्जैन में हुआ, वे हिंदी साहित्य के प्रमुख व्यंगकार थे. इन्होने कुछ कहानियां लिखीं, फिल्मों और टेलीविज़न के लिए कुछ स्क्रिप्ट भी लिखे लेकिन प्रमुखता से इन्होने व्यंग-लेखन ही किया. हिन्दी व्यंग्य को प्रतिष्ठा दिलाने प्रमुख व्यंग्यकारों में शरद जोशी भी एक हैं.इनकी रचनाओं में समाज में पाई जाने वाली सभी विसंगतियों का बेबाक चित्रण मिलता है.

 

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