आज मैं पूरी तरह से सतुष्ट हूँ,पहले से कहीं अधिक – सुखदेव के नाम भगत सिंह का पत्र

- Advertisement -

सुखदेव और भगत सिंह दोनों अभिन्न साथी थे.उनकी मित्रता का आधार दोनों की अध्यन-शीलता थी.सुखदेव की संगठन-शक्ति अदभुत थी,पर उनमें मानसिक स्थिरता की कमी थी और स्वप्निल आदर्शवाद का अतिरेक था.शायद यह कहना ठीक होगा की वे एक मूडी आदमी थें.एक दिन पार्टी की मीटिंग में एक क्रांतिकारी महिला आई.भगत सिंह उन्हें देख कर मुस्कुराये, वे भगत सिंह को देख के मुस्कुराई.सुखदेव ने इसका गलत अर्थ लगाया.वे जब टब नर-नारी के संबंधों पर बहस करते रहते थे.

उस दिन जब क्रांतिकारी दल ने यह करकर की दल के लिए भगत सिंह की अनिवार्य आवश्यकता है, असेम्बली में बम फेंकने के लिए भगत सिंह की जगह दूसरा नाम कर दिया,तो भगत सिंह अनुशासन के भाव से चुप रह गए.सुखदेव मीटिंग में नहीं थे.बाहर से आते ही वे गुस्से में भरे भगत सिंह के पास पहुंचे और उन्हें बहुत कुछ कहने के बाद ये भी कहा की तुम उस औरत से प्यार की वजह से ही बच रहे हो.भगत सिंह ने गुस्से में सुखदेव को झिडक दिया और दुबारा दल की मीटिंग बुलाकर जिद करके अपना नाम रखाया.18 अप्रैल, 1929 को असेम्बली में बम फेंकने के लिए जाने से पहले भगत सिंह ने सुखदेव को यह विचारपूर्ण पत्र लिखा

प्रिय भाई,

जैसे ही यह पत्र तुम्हे मिलेगा,मैं जा चूका हूँगा-दूर एक मंजिल की ओर.मैं तुम्हे विश्वास दिलाना चाहता हूँ की मैं आज बहुत खुश हूँ,हमेशा से ज्यादा.मैं यात्रा के लिए तैयार हूँ.अनेक-अनेक मधुर स्मृतियों के होते और अपने जीवन की सब खुशियों के होते भी एक बात मेरे मन में चुभती रही थी की मेरे भाई,मेरे अपने भाई ने मुझे गलत समझा और मेरे ऊपर बहुत ही गंभीर आरोप लगाया-कमजोरी.आज मैं पूरी तरह से सतुष्ट हूँ,पहले से कहीं अधिक.आज मैं महसूस कर सकता हूँ की वह बात कुछ भी नहीं थी,एक ग़लतफ़हमी थी,एक गलत अंदाजा था.मेरे खुले व्यवहार को मेरा बातूनीपन समझा गया और मेरी आत्म-स्वीकृति को मेरी कमजोरी.परन्तु अब मैं महसूस करता हूँ की कोई ग़लतफ़हमी नहीं,मैं कमजोर नहीं ,अपने में से किसी से भी कमजोर नहीं.

भाई मैं साफ़ दिल से विदा हूँगा.क्या तुम भी साफ़ होगे?यह तुम्हारी दयालुता होगी लेकिन ख्याल रखना की तुम्हे जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाना चाहिए.गंभीरता और शान्ति से तुम्हे काम को आगे बढ़ाना है.जल्दबाजी में मौका पा लेने का प्रयत्न न करना.जनता के प्रति तुम्हारा कुछ कर्तव्य है.उसे निभाते हुए काम को निरंतर सावधानी से करते रहना.

सलाह के तौर पर मैं कहना चाहूँगा की शास्त्री मुझे पहले से ज्यादा अच्छे लग रहे हैं.मैं उन्हें मैदान में लाने की कोशिश करूँगा,बशर्ते की वे स्वेच्छा से, और साफ़ साफ़ बात यह है की निश्चित रूप से एक अँधेरे भविष्य के प्रति समर्पित होने को तैयार हों.उन्हें दूसरे लोगों के साथ मिलने दो और उनके हाव-भाव का अध्यन्न होने दो.यदि वे ठीक भावना से अपना काम करेंगे तो उपयोगी और बहुत मूल्यवान सिद्ध होंगे.लेकिन जल्दी न करना.तुम्ही स्वयं अच्छे निर्णायक होगे.जैसे सुविधा हो,व्यवस्था करो.आओ भाई,अब हम बहुत खुश हो लें.

खुशी के इस वातावरण में मैं यह कह सकता हूँ की जिस प्रश्न पर हमारी बहस है,उसमे अपना पक्ष लिए बिना मैं रह नहीं सकता.मैं पुरे जोर से कहता हूँ की मैं आकांक्षाओं और आशाओं से भरपूर हूँ और जीवन की आनंदमय रंगीनियों से ओत-प्रोत हूँ, पर आवश्यकता के समय पर सब कुछ कुर्बान कर सकता हूँ और यही वास्तविक बलिदान है.ये चीज़ें कभी मनुष्य के रास्ते में रुकावट नहीं बन सकतीं,बशर्ते की वह मनुष्य हो.निकट भविष्य में ही तुम्हे प्रत्यक्ष प्रमाण मिल जाएगा.

किसी व्यक्ति के चरित्र के बारे में बातचीत करते हुए एक बात सोचनी चाहिए की क्या प्यार कभी किसी मनुष्य के लिए सहायक सिद्ध हुआ है?मैं आज इस प्रश्न का उत्तर देता हूँ-हाँ,यह मेजिनी था.तुमने अवश्य ही पढ़ा होगा की अपनी पहली विद्रोही असफलता,मन को कुचल डालने वाली हार,मरे हुए साथियों की याद वह बर्दाश्त नहीं कर सकता था.वह पागल हो जाता या आत्महत्या कर लेता, लेकिन अपनी प्रेमिका के एक ही पत्र से वह, यही नहीं की किसी एक से मजबूत हो गया,बल्कि सबसे अधिक मजबूत हो गया.

जहाँ तक प्यार के नैतिक स्तर का सम्बन्ध है,मैं यह कह सकता हूँ की यह अपने आप में कुछ नहीं है,सिवाय एक आवेश के, लेकिन यह पाशविक वृति नहीं,एक मानवीय अत्यंत मधुर भावना है.प्यार अपने में कभी भी पाशविक वृति नहीं है.प्यार तो हमेशा मनुष्य के चरित्र को ऊँचा उठाता है, यह कभी उसे नीचा नहीं करता, बशर्ते की प्यार-प्यार हो.तुम कभी भी इन लड़कियों को वैसी पागल नहीं कह सकते,जैसे की फिल्मों में हम प्रेमियों को देखते हैं.वे सदा पाशविक वृतियों के हाथों खेलती हैं.सच्चा प्यार कभी भी गढा नहीं जा सकता.यह अपने ही मार्ग से आता है.कोई नहीं कह सकता कब?

हाँ,मैं यह कह सकता हूँ की एक युवक और एक युवती आपस में प्यार कर सकते हैं और वे अपने प्यार के सहारे अपने आवेगों से ऊपर उठ सकते हैं,अपनी पवित्रता बनाये रख सकते हैं.मैं यहाँ एक बात साफ़ कर देना चाहता हूँ की जब मैंने कहा था की प्यार इंसानी कमजोरी है, तो यह एक साधारण आदमी के लिए नहीं कहा था, जिस स्तर पर की आम आदमी होते हैं.वह एक अत्यंत आदर्श स्थिति है,जहाँ मनुष्य प्यार-घृणा आदि के आवेगों पर काबू पा लेगा,जब मनुष्य अपने कार्यों का आधार आत्मा के निर्देश को बना लेगा,लेकिन आधुनिक समय में यह कोई बुराई नहीं है, बल्कि मनुष्य के लिए अच्छा और लाभदायक है.मैंने एक आदमी के एक आदमी से प्यार की निंदा की है, पर वह भी एक आदर्श स्तर पर.इसके होते हुए भी मनुष्य में प्यार की गहरी भावना होनी चाहिए,जिसे की वह एक ही आदमी में सिमित न कर दे बल्कि विश्वमय रखे.

मैं सोचता हूँ,मैंने अपनी स्थिति अब स्पष्ट कर दी है.एक बात मैं तुम्हे बताना चाहता हूँ की क्रांतिकारी विचारों के होते हुए हम नैतिकता के सम्बन्ध में आर्यसमाजी ढंग की कट्टर धारणा नहीं अपना सकते.हम बढ़-चढ़ कर बात कर सकते हैं और इसे आसानी से छिपा सकते हैं,पर असल जिंदगी में हम झट थर-थर कांपना शुरू कर देते हैं.

मैं तुम्हे कहूँगा की यह छोड़ दो.क्या मैं अपने मन में बिना किसी गलत अंदाज के गहरी नम्रता के साथ निवेदन कर सकता हूँ की तुममे जो अति आदर्शवाद है, उसे जरा कम कर दो.और उनकी तरह से तीखे न रहो,जो पीछे रहेंगे और मेरे जैसी बिमारी का शिकार होंगे.उनकी भर्त्सना कर उनके दुखों-तकलीफों को न बढ़ाना.उन्हें तुम्हारी सहानभूति की आवशयकता है.

क्या मैं यह आशा कर सकता हूँ की किसी खास व्यक्ति से द्वेष रखे बिना तुम उनके साथ हमदर्दी करोगे,जिन्हें इसकी सबसे अधिक जरूरत है?लेकिन तुम तब तक इन बातों को नहीं समझ सकते जब तक की तुम स्वयं उस चीज़ का शिकार न बनो.मैं यह सब क्यों लिख रहा हूँ.मैं बिलकुल स्पष्ट होना चाहता था.मैंने अपना दिल साफ़ कर दिया है.

तुम्हरी हर सफलता और प्रसन्न जीवन की कामना सहित

तुम्हारा भाई,
भगत सिंह.

Meri Baatein
Meri Baateinhttps://meribaatein.in
Meribatein is a personal blog. Read nostalgic stories and memoir of 90's decade. Articles, stories, Book Review and Cinema Reviews and Cinema Facts.
  1. वाह कहाँ से मिला आपको यह पत्र…. जब कभी कोई ऐसी बातें सामने आती हैं तो लगता है कितना कुछ किया है लोगों ने हमारे देश के लिए और आज जो हालत हैं कितना दुख होता होगा उनकी आत्मा को कैसे कायरों से भरा पड़ा आज भगत सिंग,सुखदेव जैसे महान क्रांतिकारियों का यह देश…इस पत्र को पढ़कर ऐसा लगा मानो थोड़ी देर के लिए ही सही हमे इनकी भावनाओ को करीब से जाने का मौका तो मिला …

  2. @पल्लवी जी..
    एक किताब है जिसमे भगत सिंह के बहुत से पत्रों का संकलन है.उसी में से है यह.इसके पहले के भी दो पोस्टों में उसी किताब से कुछ लिखा था मैंने..

    इन्कलाब जिंदाबाद क्या है?

    शहीद भगत सिंह का अंतिम पत्र और कुछ तस्वीरें

  3. सिर्फ़ इतना कहना है …

    इंक़लाब जिंदाबाद …

    इंक़लाब जिंदाबाद …

    इंक़लाब जिंदाबाद …

  4. मानवीय संवेदनाएं कभी लक्ष्य और कर्तव्य में बाधा नहीं बनती.भगत सिंह यही सिखा गए.
    नमन है उस वीर को.

  5. आज के दिन इससे बेहतरीन और कुछ नहीं पढा मैंने । अभिषेक , बहुत ही दुर्लभ और संग्रहणीय ।

    और बेटा लाल , ब्लॉग का कलेवर बहुत ही खूबसूरत है ..मुझे बहुत पसंद आया ।

  6. अद्भुत!! उनके व्यक्तित्व के जैसा!!

  7. अच्छा लगता है,देख ..जब तुम जैसे युवा…भगत सिंह के विचारों से प्रभावित होते हो…उन्हें आदर्श मानते हो.
    बहुत छोटी सी उम्र में बहुत कुछ सिखा गए, भगत सिंह
    नमन उस भारत माँ के सच्चे सपूत को

  8. बेहतरीन पोस्ट …. आभार इन सार्थक विचारों को लिए इस पत्र को साझा करने का…..

  9. प्यार की सच्ची परिभाषा ही तो व्याख्यायित कर गये भगत सिंह. सब समझते क्यों नहीं है..?

  10. अक्सर सोचता हूँ कि किस मिट्टी से बने थे और कहाँ चले गये वो लोग! आभार!

  11. ऐसी बातें और उम्र कितनी?
    अब भी इनका नाम लेते ही रौंगटे खड़े हो जाते हैं।

Leave a Reply to rashmi ravija Cancel reply

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Posts

Get in Touch

21,985FansLike
3,912FollowersFollow
20,800SubscribersSubscribe