Tag:Amrita Pritam (Author and Poet)

यह कहानी नहीं – अमृता प्रीतम

पत्थर और चूना बहुत था, लेकिन अगर थोड़ी-सी जगह पर दीवार की तरह उभरकर खड़ा हो जाता, तो घर की दीवारें बन सकता था।...

एक जीवी, एक रत्नी, एक सपना – अमृता प्रीतम

  पालक एक आने गठ्ठी, टमाटर छह आने रत्तल और हरी मिर्चें एक आने की ढेरी "पता नहीं तरकारी बेचनेवाली स्त्री का मुख कैसा था...

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भाभी – इस्मत चुग़ताई

  भाभी ब्याह कर आई थी तो मुश्किल से पंद्रह बरस की होगी। बढवार भी तो पूरी नहीं हुई थी।...

जडें – इस्मत चुग़ताई

  सबके चेहरे उड़े हुए थे। घर में खाना तक न पका था। आज छठा दिन था। बच्चे स्कूल छोड़े,...

चौथी का जोडा – इस्मत चुग़ताई

  सहदरी के चौके पर आज फिर साफ - सुथरी जाजम बिछी थी। टूटी - फूटी खपरैल की झिर्रियों में...

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मरने से पहले – भीष्म साहनी

  मरने से एक दिन पहले तक उसे अपनी मौत...

विकसित होती लघुकथा इससे भी आगे बढ़ेगी – विष्णु प्रभाकर

मित्रो! लघुकथा के बारे में इतना कुछ कह दिया गया...