Tag:Delhi Diaries

कुछ पल के लिए ही सही, एक कीड़े ने पुराना समय याद दिलाया।

कल की सुबह बेहद आम थी. मैं घर से काम पर निकला. सुबह दस बजे की मेट्रो लेता हूँ मैं. मेरे मेट्रो रूट पर...

हमारे एयरकंडीशनर हमसे हमारे मौसम छीन रहे हैं, और हमें इसकी खबर ही नहीं

मैं अपने स्कूल के दिनों की बातें करूँ, तो मुझे गर्मियों के दिन प्यारे लगते थे. कई वजह थे इसके. हम उन दिनों सरकारी...

चावरी बाज़ार – शादियों के कार्ड का मार्केट

शादियों में यूं तो सैकड़ों काम होते हैं, लेकिन सबसे बड़े और महत्वपूर्ण काम होता है वो है शादी के कार्ड सेलेक्ट करने का...

गली कासिम जां और मिर्ज़ा साहब से एक मुलाकत

पूछते हैं वो के ग़ालिब कौन है? कोई बतलाओ के हम बतलाएं क्या? .. बल्ली मारां की वो पेचीदा दलीलों की-सी गलियाँ एक क़ुरआने सुख़न का सफ़्हा खुलता...

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भाभी – इस्मत चुग़ताई

  भाभी ब्याह कर आई थी तो मुश्किल से पंद्रह बरस की होगी। बढवार भी तो पूरी नहीं हुई थी।...

जडें – इस्मत चुग़ताई

  सबके चेहरे उड़े हुए थे। घर में खाना तक न पका था। आज छठा दिन था। बच्चे स्कूल छोड़े,...

चौथी का जोडा – इस्मत चुग़ताई

  सहदरी के चौके पर आज फिर साफ - सुथरी जाजम बिछी थी। टूटी - फूटी खपरैल की झिर्रियों में...

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शादियों में यूं तो सैकड़ों काम होते हैं, लेकिन...