Tag:Harishankar Parsai (Author)

भोला राम का जीव – हरिशंकर परसाई

भोला राम का जीव - हरिशंकर परसाई: सरकारी दफ्तरों और दरख़्वास्तों में अटकी गरीबी और सामाज के एक चेहरे को दिखाती इक जोरदार...

रसोई घर और पाखाना – हरिशंकर परसाई

रसोई घर और पखाना - हरिशंकर परसाई का एक तगड़ा कटाक्ष - समाज के झूठे प्रतिष्ठा, ऊँच नीच और भेद भाव को दिखाती...

अपना-पराया – हरिशंकर परसाई

  अपना पराया एक लघु व्यंग है जो हमारी शिक्षा व्यवस्था पर कटाक्ष करता है. बेहद कम शब्दों में कैसे कटु सत्य उजागर किया...

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भाभी – इस्मत चुग़ताई

  भाभी ब्याह कर आई थी तो मुश्किल से पंद्रह बरस की होगी। बढवार भी तो पूरी नहीं हुई थी।...

जडें – इस्मत चुग़ताई

  सबके चेहरे उड़े हुए थे। घर में खाना तक न पका था। आज छठा दिन था। बच्चे स्कूल छोड़े,...

चौथी का जोडा – इस्मत चुग़ताई

  सहदरी के चौके पर आज फिर साफ - सुथरी जाजम बिछी थी। टूटी - फूटी खपरैल की झिर्रियों में...

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जडें – इस्मत चुग़ताई

  सबके चेहरे उड़े हुए थे। घर में खाना तक...

याद कर लेना कभी हमको भी भूले भटके – बिस्मिल और अशफ़ाक़ की शायरी

अक्सर हम अब अपनी ज़िन्दगी में और बेवजह के...