Tag:Mohan Rakesh (Author)

मलबे का मालिक – मोहन राकेश

  पूरे साढ़े सात साल के बाद लाहौर से अमृतसर आए थे। हाकी का मैच देखने का तो बहाना ही था, उन्हें ज्यादा चाव उन...

कहानी क्यों लिखता हूँ – मोहन राकेश

क्यों?...इस प्रश्न का उत्तर देना कठिन है। जीवन में हम कोई भी काम क्यों करते हैं? हँसते क्यों हैं? रोते क्यों हैं?प्रसन्न, चिन्तित या...

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भाभी – इस्मत चुग़ताई

  भाभी ब्याह कर आई थी तो मुश्किल से पंद्रह बरस की होगी। बढवार भी तो पूरी नहीं हुई थी।...

जडें – इस्मत चुग़ताई

  सबके चेहरे उड़े हुए थे। घर में खाना तक न पका था। आज छठा दिन था। बच्चे स्कूल छोड़े,...

चौथी का जोडा – इस्मत चुग़ताई

  सहदरी के चौके पर आज फिर साफ - सुथरी जाजम बिछी थी। टूटी - फूटी खपरैल की झिर्रियों में...

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सवेरे जो कल आँख मेरी खुली – सआदत हसन मंटो

  अज़ब थी बहार और अज़ब सैर थी! यही जी...

मोरा गोरा रंग लई ले – मेकिंग ऑफ़ अ सोंग(३)

मोरा गोरा रंग लई ले इस गीत का जन्म...