Tag:Poems

हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रुठै नहीं ठौर : शिक्षक दिवस पर खास

आज शिक्षक दिवस है, यह दिन भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती 5 सितंबर को, उनके याद में...

कुछ ख़्वाब…कुछ ख्वाहिशें – समीक्षा कविताओं की

जनवरी में अमित भैया (अमित श्रीवास्तव) -निवेदिता भाभी (निवेदिता श्रीवास्तव) की  किताब कुछ ख्वाब कुछ ख्वाहिशें      प्रकाशित होकर आई. इस किताब के...

ज़िन्दगी और गुलाब – प्रेम गुप्ता मानी की कवितायें

मुझे भले अच्छी कवितायें लिखनी नहीं आती और नाही मुझे खुद की कवितायें ज्यादा पसंद कभी आई हैं...लेकिन कविताओं को पढ़ता खूब हूँ मैं,...

गली क़ासिम में आकर – ग़ालिब की गलियों में घूमते हुए

गली क़ासिम में आकर , तुम्हारी ड्योढ़ी पे रुक गया हूँ मिर्ज़ा नौशा तुम्हे आवाज़ दूँ , पहले , चली जाएँ ज़रा , परदे में उमराव ,...

मीना कुमारी, एक अदाकारा, एक शायरा – एक एहसास

मीना जी चली गईं..कहती थीं -  राह देखा करेगा सदियों तक, छोड़ जाएंगे यह जहां तन्हा ...और जाते हुए सचमुच सारे जहान को तन्हा कर गईं; एक...

रसिया व् स्पोमिन्नानियाख – स्मृतियों में रूस

'स्मृतियों में रूस' को लेकर मैं बहुत पहले से काफी उत्साहित था.शायद आजतक मैं किसी भी किताब को लेकर इतना उत्साहित कभी नहीं रहा.इसकी...

गुलज़ार साहब के साथ कुछ लम्हे (हैप्पी बर्थडे)

पुरे देश में अन्ना की हवा चल रही है.बैंगलोर भी इससे अछूता नहीं.यहाँ भी जगह जगह अन्ना के समर्थन में लोग घरों से बाहर...

चेहरे – सामाज और लोगों पर लिखी एक कविता

इतने चेहरे नज़र आते हैं सड़कों पे, किसी के चेहरे पे है खुशी तो किसी के चेहरे पे निराशा हँसते हुए चेहरे को देख, अक्सर हम समझते हैं...

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भाभी – इस्मत चुग़ताई

  भाभी ब्याह कर आई थी तो मुश्किल से पंद्रह बरस की होगी। बढवार भी तो पूरी नहीं हुई थी।...

जडें – इस्मत चुग़ताई

  सबके चेहरे उड़े हुए थे। घर में खाना तक न पका था। आज छठा दिन था। बच्चे स्कूल छोड़े,...

चौथी का जोडा – इस्मत चुग़ताई

  सहदरी के चौके पर आज फिर साफ - सुथरी जाजम बिछी थी। टूटी - फूटी खपरैल की झिर्रियों में...

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विश्व पुस्तक मेला, दिल्ली – मेरी नज़र से (1) – रिपोर्ट

हर साल की तरह इस साल भी विश्व पुस्तक...

अमृतसर आ गया है – भीष्म साहनी

  गाड़ी के डिब्बे में बहुत मुसाफिर नहीं थे। मेरे...