Tag:Reflections

किस बरहमन ने कहा था कि ये साल अच्छा है?

इस साल का आखिरी दिन है ये, और इस साल का मेरा ये पहला और आखिरी ब्लॉग पोस्ट। इस साल की जब शुरुआत हुई...

वो जो रखते थे हम इक हसरत-ए-तामीर सो है

आज महीनों बाद ब्लॉग पर वापस आना हुआ है। आखिरी पोस्ट इस ब्लॉग पर मार्च की थी, और तब से लेकर अब तक इस...

गुज़रते मौसम की भी अपनी उदासियाँ होती हैं

सर्दियाँ चली जाती हैं तब बहुत कुछ याद आता है. कितनी कहानियाँ लिखनी थी, सर्दियों की कहानी, दिसम्बर और जनवरी के गुनगुनी धुप की...

बीते साल की कुछ बातें

नया साल आ गया है, लेकिन यह नया साल मेरे लिए ही नहीं बल्कि सभी के लिए ख़ास सा है.. पिछला साल जितना बेदर्द...

विघ्न व्यवधानों के बीच मुस्कुराता, हिलता डुलता सा त्योहारों का मौसम

पर्व त्यौहार तो इस साल क्या मानेंगे, कितनों के घरों से ख़राब ख़बरें मिल रही हैं. इस साल मेरा घर भी इस बुरे ख़बरों...

किस्सा एक बेचैन रात, खुशनुमा सुबह और एक दोस्त के साथ का…

उस रात ठीक से नींद नहीं आ रही थी. जाने क्या बात थी. पूरी शाम और फिर रात भर मन में बहुत कुछ चलते...

वो कमरा याद आता है..

जावेद साहब की एक कविता है "वो कमरा याद आता है"। उस कविता को जब कभी पढ़ता हूँ, एक टीस सी उठती है मन...

दिल्ली में बिता एक साल

वक़्त तो जैसे पंख लगाकर उड़ जाता है। देखते-देखते एक साल बीत जाता है और पता भी नहीं चलता। मुझे तो अब भी यकीन...

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किस बरहमन ने कहा था कि ये साल अच्छा है?

इस साल का आखिरी दिन है ये, और इस साल का मेरा ये पहला और आखिरी ब्लॉग पोस्ट। इस...

वो जो रखते थे हम इक हसरत-ए-तामीर सो है

आज महीनों बाद ब्लॉग पर वापस आना हुआ है। आखिरी पोस्ट इस ब्लॉग पर मार्च की थी, और तब...

भाभी – इस्मत चुग़ताई

  भाभी ब्याह कर आई थी तो मुश्किल से पंद्रह बरस की होगी। बढवार भी तो पूरी नहीं हुई थी।...

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गली कासिम जां और मिर्ज़ा साहब से एक मुलाकत

पूछते हैं वो के ग़ालिब कौन है?कोई बतलाओ के...

विघ्न व्यवधानों के बीच मुस्कुराता, हिलता डुलता सा त्योहारों का मौसम

पर्व त्यौहार तो इस साल क्या मानेंगे, कितनों के...