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Literature and Books
कुछ ख़्वाब…कुछ ख्वाहिशें – समीक्षा कविताओं की
जनवरी में अमित भैया (अमित श्रीवास्तव) -निवेदिता भाभी (निवेदिता श्रीवास्तव) की किताब कुछ ख्वाब कुछ ख्वाहिशें प्रकाशित होकर आई. इस किताब के...
Literature and Books
निर्मल की बातें – निर्मल वर्मा की किताबों से लिए कुछ बातें
मैंने निर्मल वर्मा को पढ़ना बहुत बाद में शुरू किया. शायद सबसे बाद. 2008 का ही वो साल था जब मैंने पहली बार उनकी...
Literature and Books
अनुरागी मन – अनुराग शर्मा की कहानियों की बातें
साउथ एक्सटेंसन के एक कैफे में बैठा हुआ हूँ. समय बिताना है कुछ देर यहाँ. एक किताब बैग में रखे हुए हूँ जाने कब...
Literature and Books
ज़िन्दगी और गुलाब – प्रेम गुप्ता मानी की कवितायें
मुझे भले अच्छी कवितायें लिखनी नहीं आती और नाही मुझे खुद की कवितायें ज्यादा पसंद कभी आई हैं...लेकिन कविताओं को पढ़ता खूब हूँ मैं,...
Literature and Books
हर शहर का अपना अलग इतवार होता है- निर्मल वर्मा के ‘वे दिन’ के कुछ अंश
शायद हर शहर का अपना अलग इतवार होता है..अपनी अलग आवाजें, और नीरवता.तुम आँखें मूंदकर भी जान लेते हो.ये ट्राम के पहिये हैं...यह उबलती...
Literature and Books
अपनी खिड़की से और ध्रुव गाथा : दो खूबसूरत किताब
दृढ संकल्प हटा सकता है गिरिवर को भी, धारा रेत बना देती है पत्थर को भी. पिछले महीने ही गिरिजा कुलश्रेष्ठ जी की दो किताबें डाक...
Literature and Books
मन एक रहस्मय लोक है – मुक्तिबोध के ‘सतह से उठता आदमी’ से कुछ अंश
मुझे लगता है की मन एक रहस्मय लोक है, उसमे अँधेरा है, अँधेरे में सीढियां हैं..सीढियां गीली हैं.सबसे नीचली सीढ़ी पानी में डूबी हुई...
Literature and Books
रसिया व् स्पोमिन्नानियाख – स्मृतियों में रूस
'स्मृतियों में रूस' को लेकर मैं बहुत पहले से काफी उत्साहित था.शायद आजतक मैं किसी भी किताब को लेकर इतना उत्साहित कभी नहीं रहा.इसकी...
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हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रुठै नहीं ठौर : शिक्षक दिवस पर खास
आज शिक्षक दिवस है, यह दिन भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती 5...
तीज की कुछ यादें, कुछ अभी की बातें और एक आधुनिक समस्या
बचपन से ही तीज का पर्व मेरे लिए एक ख़ास पर्व रहा है. सच कहूँ तो उन दिनों इस...
इस भाग दौड़ की ज़िन्दगी में याद आता है – एक वो भी था ज़माना, एक ये भी है ज़माना..
बारिश हो रही हो, मौसम सुहाना हो गया हो और ऐसे में अगर कुछ पुराना याद आ जाए तो...
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पढ़िए देशी चश्मे से लन्दन डायरी
बड़े दिनों बाद आज हाज़िर हूँ अपनी नयी पोस्ट...
विश्व पुस्तक मेला, दिल्ली – मेरी नज़र से (1) – रिपोर्ट
हर साल की तरह इस साल भी विश्व पुस्तक...