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Books Review
मनुष्य जरूरत पड़ने पर अपने को किसी भी जीवन ढाँचे में ढाल सकता है – निर्मल वर्मा के पत्र
(इन खतों को जिस दिन मैंने पढ़ा था, उसके बाद इसमें से कुछ न कुछ ड्राफ्ट में सेव करता गया.पोस्ट काफी बड़ी और क्लटरड...
Meri Baatein
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December 15, 2011
Books Review
लिखना जैसे मेरे जीने का सहारा है – निर्मल वर्मा के संकलित पत्र
पिछले महीने पटना में एक किताब खरीदी थी - 'प्रिय राम'.इस किताब में निर्मल वर्मा के द्वारा अपने बड़े भाई चित्रकार रामकुमार को लिखे...
Meri Baatein
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December 13, 2011
Books Review
नाम वहीँ लिखे जाते हैं, जहाँ आदमी टिककर रहे – निर्मल वर्मा की किताबों से कुछ अंश
(फिर से डायरी से निकला एक पन्ना, इस बार निर्मल वर्मा के किताबों से कुछ जो मैंने कभी नोट कर के रख लिया था..अलग...
Meri Baatein
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November 28, 2010
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Latest news
Hindi Stories
May 17, 2021
भाभी – इस्मत चुग़ताई
भाभी ब्याह कर आई थी तो मुश्किल से पंद्रह बरस की होगी। बढवार भी तो पूरी नहीं हुई थी।...
Hindi Stories
May 17, 2021
जडें – इस्मत चुग़ताई
सबके चेहरे उड़े हुए थे। घर में खाना तक न पका था। आज छठा दिन था। बच्चे स्कूल छोड़े,...
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May 17, 2021
चौथी का जोडा – इस्मत चुग़ताई
सहदरी के चौके पर आज फिर साफ - सुथरी जाजम बिछी थी। टूटी - फूटी खपरैल की झिर्रियों में...
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Hindi Stories
May 16, 2021
बुद्धिजीवियों का दायित्व – शरद जोशी
इमरजेंसी के वक़्त लिखी गयी शरद जोशी की...
Personal Blog
December 27, 2014
गली क़ासिम में आकर – ग़ालिब की गलियों में घूमते हुए
गली क़ासिम में आकर , तुम्हारी ड्योढ़ी पे रुक गया...