Tag:Letter Collections

मनुष्य जरूरत पड़ने पर अपने को किसी भी जीवन ढाँचे में ढाल सकता है – निर्मल वर्मा के पत्र

(इन खतों को जिस दिन मैंने पढ़ा था, उसके बाद इसमें से कुछ न कुछ ड्राफ्ट में सेव करता गया.पोस्ट काफी बड़ी और क्लटरड...

लिखना जैसे मेरे जीने का सहारा है – निर्मल वर्मा के संकलित पत्र

पिछले महीने पटना में एक किताब खरीदी थी - 'प्रिय राम'.इस किताब में निर्मल वर्मा के द्वारा अपने बड़े भाई चित्रकार रामकुमार को लिखे...

आज मैं पूरी तरह से सतुष्ट हूँ,पहले से कहीं अधिक – सुखदेव के नाम भगत सिंह का पत्र

सुखदेव और भगत सिंह दोनों अभिन्न साथी थे.उनकी मित्रता का आधार दोनों की अध्यन-शीलता थी.सुखदेव की संगठन-शक्ति अदभुत थी,पर उनमें मानसिक स्थिरता की कमी...

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भाभी – इस्मत चुग़ताई

  भाभी ब्याह कर आई थी तो मुश्किल से पंद्रह बरस की होगी। बढवार भी तो पूरी नहीं हुई थी।...

जडें – इस्मत चुग़ताई

  सबके चेहरे उड़े हुए थे। घर में खाना तक न पका था। आज छठा दिन था। बच्चे स्कूल छोड़े,...

चौथी का जोडा – इस्मत चुग़ताई

  सहदरी के चौके पर आज फिर साफ - सुथरी जाजम बिछी थी। टूटी - फूटी खपरैल की झिर्रियों में...

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मारे गये गुलफाम – फणीश्वरनाथ रेणु

हिरामन गाड़ीवान की पीठ में गुदगुदी लगती है... पिछले बीस...

पढ़िए देशी चश्मे से लन्दन डायरी

बड़े दिनों बाद आज हाज़िर हूँ अपनी नयी पोस्ट...