Tag:Shikha Varshney (Author and Poet)

पढ़िए देशी चश्मे से लन्दन डायरी

बड़े दिनों बाद आज हाज़िर हूँ अपनी नयी पोस्ट लेकर. अगर कायदे से देखा जाए तो इस पोस्ट को आने में डेढ़ महीने की...

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भाभी – इस्मत चुग़ताई

  भाभी ब्याह कर आई थी तो मुश्किल से पंद्रह बरस की होगी। बढवार भी तो पूरी नहीं हुई थी।...

जडें – इस्मत चुग़ताई

  सबके चेहरे उड़े हुए थे। घर में खाना तक न पका था। आज छठा दिन था। बच्चे स्कूल छोड़े,...

चौथी का जोडा – इस्मत चुग़ताई

  सहदरी के चौके पर आज फिर साफ - सुथरी जाजम बिछी थी। टूटी - फूटी खपरैल की झिर्रियों में...

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चोरी का अर्थ – विष्णु प्रभाकर

एक लम्बे रास्ते पर सड़क के किनारे उसकी दुकान...

गर्मियों के दिन – कमलेश्वर

  चुंगी-दफ्तर खूब रँगा-चुँगा है । उसके फाटक पर इंद्रधनुषी...