Tag:Travel Diaries

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भाभी – इस्मत चुग़ताई

  भाभी ब्याह कर आई थी तो मुश्किल से पंद्रह बरस की होगी। बढवार भी तो पूरी नहीं हुई थी।...

जडें – इस्मत चुग़ताई

  सबके चेहरे उड़े हुए थे। घर में खाना तक न पका था। आज छठा दिन था। बच्चे स्कूल छोड़े,...

चौथी का जोडा – इस्मत चुग़ताई

  सहदरी के चौके पर आज फिर साफ - सुथरी जाजम बिछी थी। टूटी - फूटी खपरैल की झिर्रियों में...

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पानी की जाति – विष्णु प्रभाकर

बी.ए. की परीक्षा देने वह लाहौर गया था। उन...

दो आस्थाएँ – अमृतलाल नागर

  अरी कहाँ हो? इंदर की बहुरिया! - कहते हुए...