Tag:Abdul Kalam

मेरी कहानी मेरे साथ खत्म हो जाएगी – कलाम साहब की कहानी गुलज़ार की ज़ुबानी

हज़ारों साल नरगिस अपनी बेनूरी पे रोती है  बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावार पैदा...  सच ही तो है न...जब तक कोई दीदावार न...

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भाभी – इस्मत चुग़ताई

  भाभी ब्याह कर आई थी तो मुश्किल से पंद्रह बरस की होगी। बढवार भी तो पूरी नहीं हुई थी।...

जडें – इस्मत चुग़ताई

  सबके चेहरे उड़े हुए थे। घर में खाना तक न पका था। आज छठा दिन था। बच्चे स्कूल छोड़े,...

चौथी का जोडा – इस्मत चुग़ताई

  सहदरी के चौके पर आज फिर साफ - सुथरी जाजम बिछी थी। टूटी - फूटी खपरैल की झिर्रियों में...

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यह कहानी नहीं – अमृता प्रीतम

पत्थर और चूना बहुत था, लेकिन अगर थोड़ी-सी जगह...