Tag:Short Stories

छोटा जादूगर – जयशंकर प्रसाद

कार्निवल के मैदान में बिजली जगमगा रही थी। हंसी और विनोद का कलनाद गूंज रहा था। मैं खड़ा था उस छोटे फुहारे के पास,...

चोरी का अर्थ – विष्णु प्रभाकर

एक लम्बे रास्ते पर सड़क के किनारे उसकी दुकान थी। राहगीर वहीं दरख्तों के नीचे बैठकर थकान उतारते और सुख-दुख का हाल पूछता। इस...

पानी की जाति – विष्णु प्रभाकर

बी.ए. की परीक्षा देने वह लाहौर गया था। उन दिनों स्वास्थ्य बहुत ख़राब था। सोचा, प्रसिद्ध डा0 विश्वनाथ से मिलता चलूँ। कृष्णनगर से वे...

शेर की गुफा में न्याय – शरद जोशी

इमरजेंसी पर व्यंग के माध्यम से शरद जोशी का एक और तीखा कटाक्ष. 'शेर की गुफा में न्याय' लघुकथा के माध्यम से शरद...

बुद्धिजीवियों का दायित्व – शरद जोशी

इमरजेंसी के वक़्त लिखी गयी शरद जोशी की ये लघुकथा सीधा कटाक्ष करती है, अभिव्यक्ति की आज़ादी विषय पर - 'यों मैं स्वतंत्र...

साम्यवाद – सआदत हसन मंटो

  वह अपने घर का तमाम ज़रूरी सामान एक ट्रक में लदवाकर दूसरे शहर जा रहा था। रास्ते में कुछ लोगों ने उसे देखा और ट्रक...

सफ़ाई पसन्दी – सआदत हसन मंटो

गाड़ी रुकी हुई थी। तीन बन्दूकची रेल के एक डिब्बे के पास आए। खिड़की में से भीतर झाँककर उन्होंने डिब्बे में बैठे मुसाफिरों से पूछा —...

रसोई घर और पाखाना – हरिशंकर परसाई

रसोई घर और पखाना - हरिशंकर परसाई का एक तगड़ा कटाक्ष - समाज के झूठे प्रतिष्ठा, ऊँच नीच और भेद भाव को दिखाती...

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किस बरहमन ने कहा था कि ये साल अच्छा है?

इस साल का आखिरी दिन है ये, और इस साल का मेरा ये पहला और आखिरी ब्लॉग पोस्ट। इस...

वो जो रखते थे हम इक हसरत-ए-तामीर सो है

आज महीनों बाद ब्लॉग पर वापस आना हुआ है। आखिरी पोस्ट इस ब्लॉग पर मार्च की थी, और तब...

भाभी – इस्मत चुग़ताई

  भाभी ब्याह कर आई थी तो मुश्किल से पंद्रह बरस की होगी। बढवार भी तो पूरी नहीं हुई थी।...

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वो आखिरी दिन और युसूफ चाय दुकान

इंजीनियरिंग के एक्जाम का आखिरी दिन था। हम लोगों...

किताबों का खोता अस्तित्व – एक आदत जो हम भूल चुके हैं

बहुत पहले की बात है, किसी अखबार या पत्रिका...