Tag:Vishnu Prabhakar (Author)

मैं ज़िन्दा रहूँगा – विष्णु प्रभाकर

दावत कभी की समाप्त हो चुकी थी, मेहमान चले गये थे और चाँद निकल आया था। प्राण ने मुक्त हास्य बिखेरते हुए राज की...

चोरी का अर्थ – विष्णु प्रभाकर

एक लम्बे रास्ते पर सड़क के किनारे उसकी दुकान थी। राहगीर वहीं दरख्तों के नीचे बैठकर थकान उतारते और सुख-दुख का हाल पूछता। इस...

पानी की जाति – विष्णु प्रभाकर

बी.ए. की परीक्षा देने वह लाहौर गया था। उन दिनों स्वास्थ्य बहुत ख़राब था। सोचा, प्रसिद्ध डा0 विश्वनाथ से मिलता चलूँ। कृष्णनगर से वे...

विकसित होती लघुकथा इससे भी आगे बढ़ेगी – विष्णु प्रभाकर

मित्रो! लघुकथा के बारे में इतना कुछ कह दिया गया है कि वह लघु नहीं रह गया और मेरे पास उससे ज्यादा कहने के लिए...

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किस बरहमन ने कहा था कि ये साल अच्छा है?

इस साल का आखिरी दिन है ये, और इस साल का मेरा ये पहला और आखिरी ब्लॉग पोस्ट। इस...

वो जो रखते थे हम इक हसरत-ए-तामीर सो है

आज महीनों बाद ब्लॉग पर वापस आना हुआ है। आखिरी पोस्ट इस ब्लॉग पर मार्च की थी, और तब...

भाभी – इस्मत चुग़ताई

  भाभी ब्याह कर आई थी तो मुश्किल से पंद्रह बरस की होगी। बढवार भी तो पूरी नहीं हुई थी।...

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तेईस मार्च को : भगत सिंह पर लिखी गयी कुछ कवितायें

उन दिनों जब भगत सिंह को फांसी की ख़बरें...

बेनाम सा ये दर्द ठहर क्यों नहीं जाता!!

मुझे डायरी लिखने की आदत है। डायरी डेली बेसिस...