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इस भाग दौड़ की ज़िन्दगी में याद आता है – एक वो भी था ज़माना, एक ये भी है ज़माना..

बारिश हो रही हो, मौसम सुहाना हो गया हो और ऐसे में अगर कुछ पुराना याद आ जाए तो जाने क्या हो जाता है...

भगत सिंह ने घर वालों को जो ख़त लिखे – भगत सिंह के पत्र

भगत सिंह की कलम से लिखा गया  पहला खत अपने दादा के नाम था जो उन्होंने तब लिखा था जब वे छठी कक्षा में...

हमें फाँसी देने के बजाय गोली से उड़ाया जाए – भगत सिंह के पत्र

भगत सिंह और उनके दोनों साथियो को फांसी लगने ही वाली है. यह सबकी राय थी. उसे किसी तरह कुछ दिन के लिए रोकना...

शीशे पर जमी धूल और बदलता चेहरा – बिहार, झूठ और सच

दो दिन पहले की एक घटना के बाद बिहार के बारे में काफी कुछ पढ़ने के बाद खुद भी कुछ लिखने की इच्छा हुई....

घड़ी तो नहीं रही, पर वो समय भी नहीं रहा लेकिन हम तो वही हैं..

इतवार की सुबह है, पता नहीं कहाँ से अचानक पुरानी बातें याद आ रही हैं. सुबह की शुरुआत रफ़ी साहब के उसी गाने से...

इवनिंग डायरी : किस्से-कहानियाँ और एक फिल्म की कुछ बातें

आज एक फिल्म देखी..तमाशा. फिल्म तो बेहतरीन है...इस साल की सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक. तमाशा एक ऐसे इंसान की कहानी है जो...

गांधी संग्रहालय पटना में एक दिन – एक रिपोर्ट

बड़े दिनों से दिल कर  रहा था लेकिन कभी मौका नहीं मिल पा रहा था, इस बार फिर से अपने उसी दोस्त के साथ...

पन्द्रह अगस्त और कुछ यादें, बातें मेरी – नास्टैल्जिया

पंद्रह अगस्त...जाने क्या क्या यादें जुड़ी हैं इस एक दिन से. ये दिन सच में ख़ास होता है, मन का मौसम चाहे कैसा भी...

Latest news

भाभी – इस्मत चुग़ताई

  भाभी ब्याह कर आई थी तो मुश्किल से पंद्रह बरस की होगी। बढवार भी तो पूरी नहीं हुई थी।...

जडें – इस्मत चुग़ताई

  सबके चेहरे उड़े हुए थे। घर में खाना तक न पका था। आज छठा दिन था। बच्चे स्कूल छोड़े,...

चौथी का जोडा – इस्मत चुग़ताई

  सहदरी के चौके पर आज फिर साफ - सुथरी जाजम बिछी थी। टूटी - फूटी खपरैल की झिर्रियों में...

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दो आस्थाएँ – अमृतलाल नागर

  अरी कहाँ हो? इंदर की बहुरिया! - कहते हुए...

शीशे पर जमी धूल और बदलता चेहरा – बिहार, झूठ और सच

दो दिन पहले की एक घटना के बाद बिहार...