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Nirmal Verma (Author)
Books Review
निर्मल की बातें – निर्मल वर्मा की किताबों से लिए कुछ बातें
मैंने निर्मल वर्मा को पढ़ना बहुत बाद में शुरू किया. शायद सबसे बाद. 2008 का ही वो साल था जब मैंने पहली बार उनकी...
Meri Baatein
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April 3, 2016
Books Review
हर शहर का अपना अलग इतवार होता है- निर्मल वर्मा के ‘वे दिन’ के कुछ अंश
शायद हर शहर का अपना अलग इतवार होता है..अपनी अलग आवाजें, और नीरवता.तुम आँखें मूंदकर भी जान लेते हो.ये ट्राम के पहिये हैं...यह उबलती...
Meri Baatein
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February 3, 2013
Books Review
मनुष्य जरूरत पड़ने पर अपने को किसी भी जीवन ढाँचे में ढाल सकता है – निर्मल वर्मा के पत्र
(इन खतों को जिस दिन मैंने पढ़ा था, उसके बाद इसमें से कुछ न कुछ ड्राफ्ट में सेव करता गया.पोस्ट काफी बड़ी और क्लटरड...
Meri Baatein
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December 15, 2011
Books Review
लिखना जैसे मेरे जीने का सहारा है – निर्मल वर्मा के संकलित पत्र
पिछले महीने पटना में एक किताब खरीदी थी - 'प्रिय राम'.इस किताब में निर्मल वर्मा के द्वारा अपने बड़े भाई चित्रकार रामकुमार को लिखे...
Meri Baatein
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December 13, 2011
Books Review
नाम वहीँ लिखे जाते हैं, जहाँ आदमी टिककर रहे – निर्मल वर्मा की किताबों से कुछ अंश
(फिर से डायरी से निकला एक पन्ना, इस बार निर्मल वर्मा के किताबों से कुछ जो मैंने कभी नोट कर के रख लिया था..अलग...
Meri Baatein
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November 28, 2010
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भाभी – इस्मत चुग़ताई
भाभी ब्याह कर आई थी तो मुश्किल से पंद्रह बरस की होगी। बढवार भी तो पूरी नहीं हुई थी।...
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जडें – इस्मत चुग़ताई
सबके चेहरे उड़े हुए थे। घर में खाना तक न पका था। आज छठा दिन था। बच्चे स्कूल छोड़े,...
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May 17, 2021
चौथी का जोडा – इस्मत चुग़ताई
सहदरी के चौके पर आज फिर साफ - सुथरी जाजम बिछी थी। टूटी - फूटी खपरैल की झिर्रियों में...
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गांधी संग्रहालय पटना में एक दिन – एक रिपोर्ट
बड़े दिनों से दिल कर रहा था लेकिन कभी...
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स्वर्ग के खंडहर में – जयशंकर प्रसाद
वन्य कुसुमों की झालरें सुख शीतल पवन से विकम्पित...